एक बच्चे के साथ यौन स्पर्श

एक बच्चे के साथ किसी भी तरह का यौन स्पर्श, कानून के द्वारा यौन आक्रमण (सेक्सुअल असॉल्ट) के रूप में माना जाता है।

एक व्यक्ति एक बच्चे पर यौन आक्रमण कर रहा है अगर वह:

  • किसी भी बच्चे के शरीर को यौन के उद्देश्य से स्पर्श करता है। किसी भी बच्चे की योनि, लिंग, गुदा, या स्तन को स्पर्श करना, उसके यौन के उद्देश्य को दर्शाता है।
  • किसी बच्चे को अपने या किसी और की योनि, लिंग, गुदा, स्तन को छूने के लिए मजबूर करता है।

इसके लिए सजा, जुर्माना के साथ साथ, 3-5 साल से लेकर आजीवन कारावास भी हो सकता है।

LGBTQ+ व्यक्तियों को चोट पहुंचाना या उन्हें घायल करना

यदि आपको ऐसी किसी भी हिंसा का सामना करना पड़ा है, जिसमें आप घायल या आहत हुए हैं, तो आपको अपने लिंग या यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना, पुलिस के पास जाकर शिकायत करने और प्राथमिकी दर्ज करने का अधिकार है। आप किसी भी लिंग के क्यों न हों, आप किसी के भी खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आप निम्नलिखित लिंग-तटस्थ कानूनों का उपयोग करने के लिये, पुलिस स्टेशन जा सकते हैं:

आपको शारीरिक तौर पर आहत करना

आपको चोट पहुंचाना

यदि कोई आपको चोट पहुंचाता है, या वे जानते हैं कि उनके कुछ काम आपको चोट पहुंचा सकते हैं, तो यह कानूनन एक अपराध है।

आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 321/350 के तहत प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

विशेष प्रकार की चोटें

अगर कोई जानबूझकर आपको चोट पहुंचाता है, या ऐसा काम करता है जिसके परिणामस्वरूप आपको चोट पहुंचती हैं, जो नीचे दिये गए प्रकार के हैं तो यह कानूनन एक अपराध है। इस प्रकार के कुछ विशेष चोटें ये हैं:

  • निपुंसक बनाना
  • आपको स्थायी रूप से अंधा या किसी भी कान से बहरा बना देना।
  • आपके किसी जोड़ों को, या आपके शरीर के ढ़ांचे को नुकसान पहुंचाना।
  • आपके सिर या चेहरे को स्थायी रूप से विकृत कर देना।
  • आपकी किन्हीं हड्डियों या आपके किसी दांतों का विस्थापन या फ्रैक्चर कर देना।
  • आपके जीवन को खतरे में डाल देना, या आप पर गंभीर शारीरिक चोट पहुंचाना, जिसके चलते आप किसी भी कार्य करने के लिये पंगु बन जाएं।
  • आपको चोट पहुंचाने के लिए अम्ल (एसिड) का उपयोग करना, जिसके परिणामस्वरूप आपको, ऊपर दी गई किसी भी प्रकार की चोट पहुंचे। तब आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 326 बी की मदद से प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

यदि आपको ऊपर दी गई किसी भी प्रकार के चोट का सामना करना पड़ा है, तो आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 320/322 की मदद से एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

खतरनाक हथियारों का उपयोग करना

आप पर खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल करना, या आम वस्तुओं या जानवरों का जिसे खतरनाक तरीके से इस्तेमाल किया जा

सकता है, इस्तेमाल करना एक अपराध है, जैसे:

खतरनाक हथियार

  • छूरा घोंपने या काटने की वस्तुएं, जैसे चाकू, कैंची इत्यादि।
  • गोली मारने के हथियार, जैसे बंदूक आदि।
  • किसी विस्फोटक पदार्थ का उपयोग करना, जैसे पटाखों आदि।
  • वे वस्तुएं जिससे आग निकलती है, या कोई गर्म वस्तु, या वे चीजें जो आग उगलती (टार्च ब्लोअर) हैं, आदि।
  • कोई भी जहर, संक्षारक पदार्थ या सामग्री जो खतरनाक हो सकते हैं।

सामान्य वस्तुएं, जिन्हें हथियार के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

  • ऐसा कोई घरेलू उत्पाद, जैसे फिनाइल, जिसको उपभोग करने के लिए आपको मजबूर किया जाए।
  • कोई वस्तु, जैसे सिगरेट लाइटर, जिसका उपयोग आपको चोट पहुंचाने के लिए किया जाए।
  • आपको चोट पहुंचाने के लिए किसी जानवर का इस्तेमाल करना, जैसे कुत्तों से आप पर हमला करवाना, आदि।

यदि आपको चोट लगी है, या घायल हो गये हैं, या ऐसी वस्तुओं जिससे आपकी मृत्यु हो सकती है, तो आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 324/326 के तहत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

आपको चोट पहुंचाने की धमकी देना

आपको चोट पहुंचाने के लिये, कोई भी इशारा करना या तैयारी करके धमकी देना, एक अपराध है। आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 350/351 के तहत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

उदाहरण के लिए, यदि कोई आपकी ओर चाकू लहराता है और आपको चोट पहुंचाने की धमकी देता है, तो वे आपको ऐसे इशारे कर रहे हैं, जो आपको चोट पहुंचा सकते हैं, या आपको डरा सकते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि कोई आपके कार्यालय से निकलने का इंतजार करता है ताकि वे आपको लाठी से मार सकें, तो वे आपको चोट पहुंचाने की तैयारी कर रहे हैं।

रैगिंग रोकने के लिए संस्थानों के कर्तव्य

रैगिंग रोकना कॉलेज का कर्तव्य है। सभी कॉलेजों / विश्वविद्यालयों को परिसर के भीतर और बाहर, दोनों जगहों पर रैगिंग खत्म करने के लिए सभी उपाय करने होंगे। कानून के तहत, सभी उप-इकाइयों, जैसे विभाग, कैंटीन, आदि सहित कोई भी कॉलेज या संस्थान, किसी भी तरह से रैगिंग की अनुमति नहीं दे सकता है।

सभी कॉलेजों / विश्वविद्यालयों को ऍडमिशन और नामांकन के समय जैसे अलग-अलग चरणों में रैगिंग रोकने के लिए कदम उठाने होते हैं।

प्रवेश के समय किये जाने वाले उपाय

सभी कॉलेजों / विश्वविद्यालयों को, छात्रों के प्रवेश के समय उपाय करने चाहिए। इनमें से कुछ हैं-

  • एक सार्वजनिक घोषणा (किसी भी प्रारूप में-प्रिंट, ऑडियो विजुअल, आदि) करें कि कॉलेज में रैगिंग पूरी तरह से निषिद्ध है, और जो कोई भी छात्रों की रैगिंग करता पाया जाएगा, उसे कानून के तहत दंडित किया जाएगा।
  • प्रवेश की विवरणिका में रैगिंग के बारे में जानकारी दें। उच्च शिक्षा संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए यूजीसी विनियमनों 2009 (यूजीसी गाइडलाइंस) को मुद्रित किया जाना चाहिए। साथ ही सभी महत्वपूर्ण पदाधिकारियों, जैसे कि प्रमुख, हॉस्टल वार्डन, आदि की संपर्क जानकारी, साथ ही ऍण्‍टी-रैगिंग हेल्पलाइन का नंबर भी छपना चाहिए।
  • आवेदन पत्र के साथ एक शपथ पत्र प्रदान करें। छात्रों और अभिभावकों के लिए ये हलफनामे में लिखा होना चाहिए कि छात्र और माता-पिता ने यूजीसी के दिशानिर्देशों को पढ़ा और समझा है, वे जानते हैं कि रैगिंग निषिद्ध है और आवेदक किसी भी ततरह की रैगिंग में शामिल नहीं होगा, और ऐसे किसी भी व्यवहार में लिप्‍त पाये जाने पर वह सज़ा के लिए उत्तरदायी होगा या होगी। यदि छात्रावास के लिए आवेदन करने पर आवेदक को अतिरिक्त शपथ पत्रों पर हस्ताक्षर करने होंगे।
  • एक दस्तावेज़ प्रदान करें जो आवेदक के सामाजिक व्यवहार पर रिपोर्ट करता है। इस तरह के दस्तावेज़ में किसी भी लिखित कदाचार का उल्‍लेख किया जाएगा और कॉलेज, आवेदक पर नज़र रख सकता है। यह दस्तावेज़ आवेदन पत्र के साथ नत्‍थी होना चाहिए।
  • हॉस्टल वार्डनों, छात्रों, अभिभावकों आदि के प्रतिनिधियों के साथ रैगिंग रोकने के उपायों और कदमों पर चर्चा करें।
  • रैगिंग के लिए दंड-प्रावधानों और यूजीसी के दिशा-निर्देशों और अमल में ला सकने वाले अन्य कानूनी प्रावधानों को विभिन्न स्थानों पर प्रमुखता से डिस्‍पले करें।
  • जिन स्थानों पर रैगिंग होने की संभावना है, उन स्थानों को पहचान कर उन पर कड़ी निगरानी रखें। ऍण्‍टी-रैगिंग स्क्वॅड और संबद्ध
  • वॉलंटियरों को सेमेस्टर के पहले कुछ महीनों के दौरान अप्रत्‍याशित समय-समय पर ऐसे स्थानों का औचक निरीक्षण करना चाहिए।

नामांकन / पंजीकरण के दौरान किये जाने वाले उपाय

सभी कॉलेजों / विश्वविद्यालयों को छात्रों के नामांकन / पंजीकरण के समय कुछ निश्‍चित उपाय करने होंगे। इनमें से कुछ हैं-

  • कॉलेज के प्रत्येक नये छात्र को एक पर्चा दिया जाना चाहिए जो यह निर्दिष्ट करेगा-
    • रैगिंग के दौरान और प्रकरण में जिन व्यक्तियों से संपर्क साधा जा सकता है, जैसे ऍण्‍टी-रैगिंग हेल्पलाइन नंबर, हॉस्टल वार्डन, स्थानीय पुलिस आदि जैसे व्यक्तियों की संपर्क जानकारी।
    • नये छात्रों को बातचीत करने और वरिष्ठ छात्रों के साथ मिलने-जुलने में सक्षम बनाने के लिए जो समावेशन कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।
    • संबद्ध कॉलेज के छात्र के बतौर मिले अधिकार।
    • निर्देश कि छात्र को किसी भी प्रकार की रैगिंग में शामिल नहीं होना चाहिए, भले ही सीनियर छात्रों द्वारा ऐसा करने को बोला जाये, और यह कि रैगिंग के हर प्रकरण को तुरंत रिपोर्ट किया जाएगा।
    • शैक्षणिक परिवेश के साथ-साथ फ्रेशर्स की पहचान की सुविधा के लिहाज़ से बनीं सभी गतिविधियों वाला एक कैलेंडर।
  • छात्रों को रैगिंग की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यदि वे पीड़ित हैं या वे किसी अन्य छात्र की ओर से शिकायत करते हैं, तो उनकी पहचान सुरक्षित और गुप्‍त रखी जाएगी, और उन्हें केवल उस घटना की रिपोर्ट करने के लिए कोई भी प्रतिकूल परिणाम भुगतना नहीं पड़ेगा।
  • फ्रेशर्स / नये छात्रों की बैच को छोटे-छोटे समूहों में विभाजित किया जाएगा, और प्रत्येक समूह में एक शिक्षक होगा जो छात्रों की समस्याएं समझने के लिए उनके साथ रोज़ बातचीत करेगा।
  • हॉस्टलों में फ्रेशर्स को सीनियर्स से अलग रखा जाना चाहिए। ऐसी परिस्थितियों में जहां यह संभव नहीं है, सीनियर छात्रों की जूनियर छात्रों तक पहुंच की निगरानी वार्डन / छात्रावास सुरक्षा द्वारा की जानी चाहिए।
  • कॉलेज के प्रमुख को शैक्षणिक वर्ष के अंत में प्रथम वर्ष के छात्रों के माता-पिता को एक पत्र भेजना चाहिए, ताकि उन्हें रैगिंग और उसके दंड-प्रावधानों के बारे में बताया जा सके। पत्र में माता-पिता से यह भी आग्रह करना चाहिए कि वे अपने बच्चों को रैैगिंग जैसे किसी भी व्यवहार में शामिल न होने के लिए कहें।

सामान्य उपाय

ऊपर दिये गये उपायों के अलावा, हरेक कॉलेज को कुछ सामान्य उपाय करने होंगे। इनमें से कुछ हैं-

  • कॉलेज को ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी, ऍण्‍टी-रैगिंग स्क्वॅड, मेंटरिंग सेल और मॉनिटरिंग सेल जैसे प्राधिकरणों का गठन करना चाहिए।
  • हरेक छात्रावास में एक पूर्णकालिक वार्डन होना चाहिए, जिसकी योग्यताओं में ये शामिल हों-छात्रों को अनुशासित कर सकना, रैगिंग को रोकने और छात्रों से संवाद / परामर्श करने की क्षमता।
  • वार्डन को हर समय उपलब्ध होना चाहिए, कॉलेज द्वारा प्रदत्त उसका एक टेलीफोन नंबर अच्छी तरह से प्रसारित होना चाहिए।
  • कॉलेज को ऑडियो-विजुअल सामग्री, काउंसलिंग सत्र, कार्यशालाओं आदि के माध्यम से रैगिंग के खिलाफ प्रचार के लिए व्यापक उपाय करने होंगे।
  • कॉलेजों / विश्वविद्यालयों को कक्षाओं / पुस्‍तकालयों के अलावा छात्रों को ऍण्‍टी-रैगिंग स्क्वॅड से रैगिंग की शिकायत करने के लिहाज़ से संबद्ध मोबाइल फोनों पर बेरोक और आसान पहुंच मुहैया करानी चाहिए।
  • परा-शिक्षण स्‍टाफ सहित कॉलेज के सभी संकायों को रैगिंग के मुद्दे पर संवेदनशील बनाया जाएगा।

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गैर शारीरिक यौन व्यवहार

गैर-शारीरिक व्यवहार जो अवांछित और यौन प्रकृति का है, ‘यौन प्रताड़ना’ (सेक्सुअल हरासमेंट) के रूप में जाना जाता है।

‘यौन प्रताड़ना’, शारीरिक या गैर-शारीरिक क्रियाएं हो सकती हैं जैसे:

यौन संबंधित वाक्य बोलना या भाव व्यक्त करना।

  • यौन अंगों के बारे में बोलना, इशारा करना या दिखाना ताकि बच्चा इसे देख सके।
  • किसी यौन संबंधित वस्तु, या यौन अंग के किसी भी भाग को बच्चे को दिखाना।
  • किसी बच्चे को उसके अपने शरीर के अंगों को किसी और को दिखाने के लिए कहना या मजबूर करना।

पीछा करना और धमकी देना

  • किसी बच्चे को, फ़ोन, एसएमएस, इंटरनेट या किसी अन्य माध्यम से, बार-बार या लगातार, सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से देखना, उसका पीछा करना, या उससे संपर्क करना।
  • किसी बच्चे को, किसी भी प्रकार के माध्यम से किसी यौन क्रिया में शामिल करने के लिए फुसलाना या धमकी देना।

अश्लील चित्रण संबंधी

  • बच्चे को, किसी भी रूप में अश्लील चित्र दिखाना।
  • बच्चे को चॉकलेट जैसी चीज़ों को देकर लुभाना ताकि बच्चा किसी भी अश्लील कृत्य में भाग ले सके।

एक बच्चे को यौन प्रताड़ित करने का दंड, 3 साल तक की जेल की सजा के साथ साथ जुर्माने की सजा भी हो सकती है।

LGBTQ+ व्यक्तियों को ब्लैकमेल करना

यदि कोई भी आपकी पहचान या यौन अभिविन्यास को उजागर करने के लिए धमकी देता है, और अपनी चुप्पी बनाए रखने के लिए पैसे या कुछ और महंगी चीज मांगता है, तो वे जबरन वसूली करने का अपराध कर रहे हैं। यहां तक ​​कि इस प्रक्रिया में आपको घायल करने की धमकी भी, जबरन वसूली के अपराध के रूप में मानी जाएगी। उदाहरण के लिए, यदि कोई आपसे आपकी लिंग पहचान को गुप्त रखने के बदले में आपसे पैसे मांगता है, तो यह जबरन वसूली का मामला है, जिसके लिए आपको पुलिस से शिकायत दर्ज करनी चाहिए।

ऐसे मामलों में, आप हेल्पलाइन पर कॉल करके तत्काल सहायता प्राप्त कर सकते हैं। आप अपने यौन अभिविन्यास या लिंग पहचान की परवाह किए बिना पुलिस से शिकायत कर सकते हैं। आप भारतीय दंड संहिता,1860 की धारा 383 के अंतर्गत पुलिस में एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकते हैं।

आपसे कुछ काम कराने के लिए ब्लैकमेल करना

यदि कोई आपसे किसी काम कराने के बदले में, आपको शारीरिक या आपकी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने की धमकी देता है, तो यह ब्लैकमेल है और इसे कानूनी रूप से आपराधिक धमकी माना जाता है। आपकी पहचान या यौन अभिविन्यास को उजागर न करने के बदले में ऐसे काम करने के लिए कहा जा सकता है। कानूनन यह एक अपराधिक धमकी है, यदि निम्नलिखित चीज़ें आपसे करने के लिए कही जाती हैं तो:

ये गैरकानूनी काम, जैसे किसी कंपनी से निजी डेटा की चोरी करना आदि।

आपको किसी ऐसे कार्य करने से रोकना जो कानूनन आपको करना था, उदाहरण के लिए, आपने किसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है और आपको ब्लैकमेल, मामला समाप्त करने के बदले में किया जा रहा है।

आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 503 के अंतर्गत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी होगी।

रैगिंग के खिलाफ शिकायत

यदि आपकी रैगिंग की जा रही है, तो आप कॉलेज के अधिकारियों, राष्ट्रीय हेल्पलाइन या पुलिस से शिकायत कर सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि कोई अन्य व्यक्ति भी आपकी ओर से शिकायत कर सकता है। आप निम्न अधिकारियों से शिकायत कर सकते हैं-

राष्ट्रीय ऍण्‍टी-रैगिंग हेल्पलाइन

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एक हेल्पलाइन नंबर और ईमेल पता स्थापित किया है, जिस पर आप रैगिंग के किसी मामले को लेकर संपर्क कर सकते हैं। हेल्पलाइन नंबर 1800-180-5522 है, और ईमेल पता helpline@antiragging.in है।

ऑनलाइन शिकायत

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एक वेब पोर्टल स्थापित किया है जहाँ आप ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं। शिकायत दर्ज करने के लिए, यहां जाएं, जहां आपको कुछ विवरण देने के लिए कहा जाएगा, जैसे कि आपका नाम, कॉलेज, घटना का विवरण इत्यादि। आप अपनी शिकायत को “ट्रैक कम्‍प्‍लेंट” पर क्लिक करके भी देख सकते हैं।

ऍण्‍टी-रैगिंग दस्‍ता

आप अपने कॉलेज के ऍण्‍टी-रैगिंग दस्‍ते के साथ शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यह दस्ता शिकायत की जांच करेगा, वे मामले की प्रकृति और उसकी गंभीरता का निर्धारण करेंगे और ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी को अपनी सिफारिशें देंगे। समिति फिर रैगिंग के लिए जिम्मेदार छात्रों को दंडित करेगी।

कृपया ध्यान दें कि आप रैगिंग की शिकायत संकाय के किसी भी सदस्य या कॉलेज के प्रमुख के पास भी दर्ज करवा सकते हैं।

पुलिस

रैगिंग के गंभीर प्रकरण में, आप रैगिंग के लिए जिम्मेदार छात्रों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं। पुलिस मामले की जांच करेगी, और रैगिंग के लिए जिम्मेदार छात्रों को दंडित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।

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एक बच्चे का यौन प्रच्छेदन (सेक्सुअल पेनिट्रेशन)

जब किसी वस्तु या किसी भी शरीर के भाग को किसी बच्चे के शरीर के किसी भाग में घुंसाया या प्रच्छेदित (पेनिट्रेट) किया जाता है, तो इसे एक अपराध माना जाता है जिसे ‘प्रच्छेदक यौन आक्रमण’ (पैनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट) कहा जाता है।

निम्नलिखित क्रियाएं प्रच्छेदक यौन आक्रमण (पेनिट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट) की श्रेणी में आती हैं:

  • किसी भी बच्चे के योनि, मुंह, मूत्रमार्ग या गुदा में अपने लिंग, या शरीर के किसी अन्य भाग या वस्तु को घुसाना।
  • किसी बच्चे को उसके अपने लिंग को, किसी अन्य व्यक्ति या चीज़ में घुसाने के लिए मजबूर करना।
  • किसी बच्चे के साथ ‘मुख मैथुन’ करना, या किसी बच्चे को किसी और के साथ मुख मैथुन करने के लिए मजबूर करना।

इस अपराध के लिए सजा, जुर्माना के साथ साथ, 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकती है।

घरेलू हिंसा के संकेत

जैसा कि उल्लेख किया गया है, घरेलू हिंसा कई प्रकार की हो सकती है, उदाहरण के लिए, मौखिक, यौन आदि। नीचे दी गई सूची घरेलू हिंसा के संकेतों को दर्शाती है। यदि आप या आपकी कस्टडी (अभिरक्षा) में रहने वाले आपके बच्चे को निम्नलिखित में से किसी भी कार्य का सामना करना पड़ा है1), तो आप सुरक्षा की मांग कर सकते हैं और कोर्ट जा सकते हैं:

शारीरिक शोषण

.   आपको शारीरिक रूप से चोट पहुँचाई जा रही है और आपके स्वास्थ्य, शारीरिक विकास या सेहत को नुकसान पहुंचाया गया है। उदाहरण के लिए, आपको पीटना, आपको थप्पड़ मारना, चोट पहुँचाना आदि।

.   आपको शारीरिक रूप से चोट पहुँचाई जा रही है और यह आपके जीवन के लिए खतरा बन रहा है।

.   कोई व्यक्ति ऐसे इशारे करता है जो आपको विश्वास दिलाता है कि वह आपको शारीरिक रूप से चोट पहुंचाने वाला है। उदाहरण के लिए, यदि आपका पति आपको मुक्का दिखाता है जिससे आपको लगता है कि वह आपको घूँसा मारने वाला है।

  • मौखिक या शारीरिक उत्पीड़न द्वारा आपको या आपके प्रियजनों को नुकसान पहुँचाने के लिए:
  • आपको डराता या परेशान करता है या तंग करता है।
  • आपको ऐसा कुछ करने को कहता है जो आपको कानूनी रूप से नहीं करना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपके ससुराल वालों ने नौकरी छोड़ने के लिए आपको चोट पहुंचाने की धमकी दी है।
  • आपको ऐसा कुछ करने से रोकें जिसे करने के लिए आप कानूनी रूप से हकदार हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपके पति ने आपको उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने पर आपको चोट पहुँचाने की धमकी दी है।

मौखिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार

  • आपको अपमानित, बेइज्जत किया जाता है या नीचा दिखाया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आपके पति आपको अपमानजनक नाम से पुकारते हैं क्योंकि आपने लड़के को जन्म नहीं दिया या इसलिए कि आप दहेज नहीं लाईं।
  • परेशान करने वाला आत्महत्या करने की धमकी देता है। उदाहरण के लिए, यदि आप कहती हैं कि आप अपने पति को तलाक देना चाहती हैं और आपके ऐसा करने पर वह आत्महत्या करने की धमकी देता है।
  • आपको आपके बच्चे से अलग करना। उदाहरण के लिए, यदि आप अपने नवजात बच्चे से अलग हो जाती हैं क्योंकि आपके ससुराल वालों का मानना है कि आप उसकी देखभाल नहीं कर सकती हैं।2)
  •  आपको नौकरी करने से रोकना या आपको नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर करना।
  • आपको या आपकी कस्टडी (अभिरक्षा) में आपके बच्चे को घर से निकलने से रोकना।
  • आपको किसी व्यक्ति, जैसे कि परिवार के सदस्य या दोस्त से मिलने से रोकना।
  • आपको किसी से शादी करने के लिए मजबूर करना या शादी करने से रोकना।
  • आपके प्रियजनों को शारीरिक कष्ट पहुंचाने की धमकी देना।

आर्थिक/मौद्रिक दुर्व्यवहार

  • आप किसी वित्तीय संपत्ति और संसाधन से वंचित हैं जिसके आप हकदार हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप संयुक्त परिवार में विधवा हैं और संयुक्त परिवार से संबंधित संसाधनों से वंचित हैं।
  • उन संसाधनों तक पहुंच को प्रतिबंधित करना जिसका आप आमतौर पर उत्पीड़क के साथ साझा रिश्ते के आधार पर उपयोग करते हैं, जैसे कि आप जिस घर में रहते हैं उसके किसी हिस्से तक पहुंच में रोक।
  • आपको अपनी संपत्ति या संयुक्त संपत्ति से विमुख करना। उदाहरण के लिए, यदि आपका पति उस संपत्ति को बेच देता है जिसके आप दोनों एक साथ मालिक हैं।
  • आपके निजी सामानों, जैसे कि आपके कपड़े, बर्तन आदि को घर से हटा देना।
  • आपको सामान्य घरेलू उपयोग की वस्तुओं का उपयोग करने की अनुमति न देना, जैसे कि आपको रसोई में प्रवेश करने से रोकना।
  • आपको अपने बच्चों के खर्चे, जैसे कि भोजन, कपड़े, दवाइयों आदि के लिए पर्याप्त पैसे न देना।
  • आपको रोजगार नहीं लेने देना या आपको नौकरी करने में परेशान करना।
  • आपका वेतन ले लेना या आपको अपने वेतन का उपयोग न करने देना।
  • आपको घर छोड़ने के लिए मजबूर करना।
  • यदि किराए के घर में रह रहे हों तो किराए का भुगतान नहीं करना।

यौन शोषण

  • कोई भी अवांछित यौन आचरण जैसे कि आपको संभोग करने के लिए मजबूर किया जाना।
  • आपको ऐसे यौन कार्य करने के लिए मजबूर करना जो आपको अपमानजनक, दुर्व्यवहार या उल्लंघन महसूस कराते हैं।
  • आपको पोर्नोग्राफी या कोई अन्य अश्लील सामग्री देखने के लिए मजबूर किया जाना।
  • आपके बच्चे का यौन शोषण किया जाना।

न्यायालय आपकी स्थिति के आधार पर हिंसा/दुर्व्यवहार के अन्य कृत्यों को भी घरेलू हिंसा के रूप में मान सकते हैं। यदि आपको यकीन नहीं है कि आप घरेलू हिंसा का सामना कर रहे हैं, तो आपको अपने जिले के प्रोटेक्शन ऑफिसर (संरक्षण अधिकारी), किसी वकील या किसी एन.जी.ओ या सेवा प्रदाता से संपर्क करना चाहिए, जो आपकी मदद कर सकेगा।

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LGBTQ+ व्यक्तियों को तालाबंद कर रखना

यदि आपको किसी खास जगह से बाहर जाने से रोका जाता है, या आपको किसी खास क्षेत्र के अंदर बाधित कर दिया गया है, उदाहरण के लिए, यदि आपको एक कमरे के अंदर बंद कर दिया गया है, तो आपको गैरकानूनी ढ़ंग से रोक कर रक्खा गया है। इस तरह के कृत्य को नाजायज बंधक बनाना कहते हैं, और जिसने आपको बंधक बनाया है उसे 1 साल तक की जेल की सजा और / या 1000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।

यदि आपका परिवार, आपको अपने साथी से मिलने या साथ होने से रोकने के लिए या, आपके अपने नये लिंग पहचान या यौन अभिविन्यास को व्यक्त करने पर गुस्सा होने के चलते, आपको जबरन घर के अंदर बंद कर दिया जाता है, तो यह कानूनन अपराध है, और कोई भी आपको आपकी इच्छा के विरुद्ध जबरन बंदी नहीं बना सकता है, क्यों कि यह आपकी आज़ादी, और आपके घूमने की आजादी का उल्लंघन है।

अपनी सहायता के लिए लोगों से संपर्क करें

  • ऐसी परिस्थिति से बाहर निकलने और तत्काल मदद पाने के लिए, आप कॉल कर सकते हैं:
  • ऐसे हेल्पलाइन, जो पुलिस अधिकारियों को आपकी मदद के लिये भेजें, या आपको तत्काल कदम उठाने के लिए आपका मार्गदर्शन करें।
  • गैरसरकारी संगठनें, जो आपको ऐसी परिस्थितियों से मुक्त करने में सक्षम हैं।
  • करीबी और भरोसेमंद परिवार के सदस्य और दोस्त।

शिकायत दर्ज करना

आप अपनी लिंग पहचान या यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना निकटतम पुलिस स्टेशन का रुख कर सकते हैं और ऐसे व्यक्ति के खिलाफ प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकते हैं, जिसने आपको बंदी बना कर रक्खा हो, या आपको नाजायज तरीके से बंधक बनाया हुआ हो। आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 340/342 के अंतर्गत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी होगी।

रैगिंग की शिकायतों के खिलाफ अपील

कोई भी छात्र ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी द्वारा दी गयी किसी भी सजा के खिलाफ अपील कर सकता है। आपका अपील प्राधिकारी इस बात पर निर्भर करेगा कि सजा का निर्णय कौन करता है। अपील करने के लिए सही प्राधिकरण खोजने के लिए नीचे देखें-

  • यदि आप किसी विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेज के निर्णय से दुखी हैं, तो आपको विश्वविद्यालय के कुलपति से अपील करनी चाहिए
  • यदि आप विश्वविद्यालय के निर्णय से व्यथित हैं, तो आपको विश्वविद्यालय के कुलाधिपति से अपील करनी चाहिए
  • यदि आप राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (संसद द्वारा स्थापित) के निर्णय से दुखी हैं, तो आपको उस संस्था के चांसलर / अध्यक्ष से अपील करनी चाहिए।

 

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