डायन कुप्रथा पे कानून

हिंसा और उत्पीड़न के खिलाफ अपने अधिकारों के बारे में महिलाओं के बीच कानूनी जागरूकता की आवश्यकता से इनकार नहीं किया जा सकता है। डायन कुप्रथा महिलाओं के खिलाफ हिंसा का एक उदाहरण है। इसको रोकने वाले विभिन्न प्रकार के कानूनों के बारे में अधिक जानने के लिए हमारे वीडियो देखें।

रैगिंग क्या है?

एक शिक्षण संस्थान के किसी अन्य छात्र के खिलाफ एक छात्र द्वारा किये गये किसी भी शारीरिक, मौखिक या मानसिक दुर्व्‍यवहार को रैगिंग कहते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन सा छात्र इसे करता है या किस छात्र के साथ यह दुर्व्यवहार किया जाता है (यह एक फ्रेशर / नवागत हो सकता है या एक वरिष्ठ भी हो सकता है)-हर हाल में यह एक रैगिंग का अपराध है। रैगिंग कई कारणों से हो सकती है, जैसे आपकी त्वचा, नस्‍ल, धर्म, जाति, प्रजातीयता, जेंडर, यौनिक रुझान, रूप-रंग, राष्ट्रीयता, क्षेत्रीय मूल, आपकी बोली, जन्म स्थान, गृह स्थान या आर्थिक पृष्‍ठभूमि के कारण।

रैगिंग कई अलग-अलग रूप ले सकती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र किसी अन्य छात्र को उसके काम करने के लिए धौंस दिखाता है या किसी छात्र को कॉलेज समारोह जैसी परिसर की गतिविधियों से बाहर रखा जाता है, तो उसे रैगिंग माना जाता है।

मानसिक चोट, शारीरिक दुर्व्‍यवहार, भेदभाव, शैक्षणिक गतिविधि में व्‍यवधान आदि सहित छात्रों के खिलाफ रैगिंग के विभिन्न रूपों को कानून, दंडित करता है।

रैगिंग पर कानून

रैगिंग पर कानून को उच्च शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए यूजीसी विनियमन, 2009 के बतौर जाना जाता है। यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 द्वारा मान्‍यता प्राप्‍त, केंद्र सरकार द्वारा घोषित संस्थानों समेत उच्चतर अध्ययन के सभी शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग को प्रतिबंधित करता है। इन सब संस्थानों के भीतर, रैगिंग इस प्रकार से निषिद्ध है-

  • एक शैक्षिक संस्थान में सभी विभाग,
  • परिसर के अंदर या परिसर के बाहर, संस्‍थान के छात्रों द्वारा इस्‍तेमाल किये जाने वाले किसी भी परिवहन सहित।

रैगिंग पर कुछ शिक्षण संस्थानों के अपने नियम हैं। उदाहरण के लिए, ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के पास रैगिंग पर दिशानिर्देशों की अपनी एक नियमावली है।

राज्य के कानून

कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में रैगिंग को प्रतिबंधित करने व रोकने के लिहाज़ से विभिन्न राज्यों ने कानून पारित किये हैं, जो केवल उन संबंधित राज्यों में ही लागू होते हैं। ये राज्य हैं आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, त्रिपुरा, आदि।

रैगिंग के लिए सज़ा

यदि कोई छात्र रैगिंग में लिप्त पाया जाता है, तो उसे या तो संस्‍थागत स्‍तर पर दंडित किया जा सकता है (उदाहरण के लिए, निलंबन द्वारा) या उसके खिलाफ पुलिस मामला दर्ज कर; भारतीय दंड संहिता, 1860 का उपयोग रैगिंग के अपराध को दंडित करने के लिए किया जा सकता है। आगे और पढ़ें

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बाल यौन उत्पीड़न के विभिन्न प्रकार

कानून ने बाल यौन उत्पीड़न के अपराध को दो मानदंडों के आधार पर विभिन्न प्रकार बनाए हैं:

1. विभिन्न प्रकार की कार्रवाई और तरीकों पर, जिसके द्वारा बच्चे का यौन उत्पीड़न किया गया है,

गैर शारीरिक

  • कोई गैर-शारीरिक यौन व्यवहार, जो इशारे, कथन और दृश्यों के माध्यम से किया गया हो।
  • बाल अश्लील चित्रण से संबंधित सृजन, वितरण, संचारण, प्रकाशन या कोई अन्य गतिविधियाँ।

शारीरिक

  • लैंगिक दृष्टि से अनुचित तरीके से बच्चे को छूना।
  • लिंग या किसी अन्य वस्तु का बच्चे के अंदर घुसाने का कृत्य।

 अपराध करने वाले व्यक्ति की विशिष्टता के आधार पर।

  • उस व्यक्ति द्वारा यौन कर्म करना, जिस पर बच्चे का विश्वास हो, या जिसका बच्चे पर अधिकार हो।

यदि आप कोई यौन अपराध करने की कोशिश भी करतेेे हैं, तो कानून के अधीन ऐसा करना भी अपराध है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि अपराध वास्तव मेंं किया गया था या अपराधी इस प्रयास में असफल रहा, इस तरह का प्रयास ही आपको इस अपराध के लिए उत्तरदायी ठहराएगा।

घरेलू संबंध

कानून के तहत घरेलू हिंसा से राहत पाने के लिए, आपको यह साबित करने की जरूरत है कि उत्पीड़क के साथ आपके घरेलू संबंध हैं। एक घरेलू संबंध का मतलब है कि आप अपने उत्पीड़क के साथ निम्नलिखित तरीकों में से कोई भी एक से संबंधित हैं:

  • खून द्वारा संबंधित। उदाहरण के लिए, कोई भी रिश्तेदार, जैसे आपके अंकल, आपकी बहन, आपके पिता आदि।
  •  विवाह द्वारा संबंधित। उदाहरण के लिए, आपके पति, आपकी नन्द, आपके बहनोई आदि।
  • रिश्ता जो शादी की प्रकृति के समान है, जैसे आपका लिव-इन पार्टनर
  • गोद लेने द्वारा संबंधित। उदाहरण के लिए, आपके सौतेले पिता, आपके सौतेले भाई आदि।
  • संयुक्त परिवार के रूप में साथ रहने द्वारा संबंधित। उदाहरण के लिए, संयुक्त परिवार में, आप परिवार के सभी सदस्यों जैसे कि आपके पिता, भाई/भाभी, चाचा/चाची, दादा/दादी आदि के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं।

अदालत में जाने पर, आपको यह भी साबित करना होगा कि आप और उत्पीड़क एक ही घर में वर्तमान में रहते हैं, या अतीत में रहते थे ।

LGBTQ+ समुदाय में प्रणय और रिश्ते

18 वर्ष की आयु से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को प्यार करने का और किसी के साथ भी यौन संबंध रखने का अधिकार है, वह भी किसी लिंग के परे। इसके पहले, एक ही लिंग के दो व्यक्तियों में आपसी सहमति के बाद भी, यौन क्रियाओं में संलग्न होना कानूनन दंडनीय अपराध था, जिसमें जेल की सज़ा और जुर्माना दोनों ही हो सकते थे। सन् 2018 के बाद इस प्रकार की यौन क्रियाएं, भारतीय कानून के तहत, दंडनीय नहीं हैं। अब आपको न कोई परेशान कर सकता है, न चोट पहुंचा सकता है, न पुलिस से शिकायत कर सकता है, ना ही आपको जेल भेजा जा सकता है, प्रताड़ित किया जा सकता है, और ना ही आप पर किसी प्रकार की हिंसा की जा सकती है:

आपके यौन अभिविन्यास के चलते

इसका मतलब यह है कि आपका लैंगिक आकर्षण किसी भी लिंग के व्यक्ति के प्रति होने के चलते आप पर कोई हिंसा नहीं की जा सकती है, चाहे वह व्यक्ति जिसके प्रति आप आकर्षित हैं वह आपके लिंग का हो, या तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) का। आप निम्नलिखित कार्यों के लिये स्वछंद हैंः

  • आप किसी भी लिंग के साथी के साथ प्यार करें, और उसके साथ रिश्ते में रहें।
  • आप किसी भी लिंग के साथी के साथ, उसकी सहमति से, यौन क्रियाओं में भाग लें।
  • आप अपने साथी के साथ, किसी भी सार्वजनिक स्थान पर, बिना किसी डर के, स्वतंत्र रूप से घूमें।

आपकी अपनी लिंग पहचान

आपको यह अधिकार है कि आप अपने स्वयंनिर्धारित लिंग से पहचाने जाएं। सन् 2014 के बाद, न्यायालय ने यह माना है कि आपको “पुरुष” और “महिला” के अलावा, खुद को “तीसरे लिंग” (ट्रांसजेंडर) की श्रेणी में रखने का, और उसी लिंग से पहचाने जाने का भी अधिकार है। कानून के अनुसार, तीसरे लिंग की श्रेणी में स्वयं को पहचाने जाने के लिए आपको लिंग सकारात्मक चिकित्सा (जेंडर एफर्मेटिव थेरापी) कराने की ज़रूरत नहीं है। उदाहरण के लिए, यदि आप शारीरिक रूप से एक महिला पैदा हुई हैं, लेकिन आप वास्तव में खुद को एक पुरुष मानते हैं तो आपको अपने को इसी लिंग से पहचाने जाने का पूरा अधिकार है।

तीसरे लिंग की श्रेणी के तहत पहचाने जाने के लिए, आप अपना नाम बदल सकते हैं, और नये पहचान दस्तावेज बनवा सकते हैं जो आपके स्वयंनिर्धारित लिंग को दर्शाए।

अगर आपको कोई प्रताड़ित करता है, चाहे वह पुलिस हो, आपके माँ-बाप हों, या कोई और व्यक्ति हो, तो आपको उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करनी चाहिए क्यों कि आपको, बिना किसी अन्य के दखलअंदाज़ी के, अपनी ज़िंदगी जीने का अधिकार है।

रैगिंग माने जाने वाले कृत्य

छात्रों के अनेक कृत्‍यों को कानून के तहत रैगिंग माना जाता है। रैगिंग के रूप में माने जाने वाले कुछ कृत्‍य हैं-

मानसिक दुर्व्‍यवहार

किसी छात्र को मानसिक क्षति पहुंचाना कानून के तहत रैगिंग माना जाता है। इसमें ये ये शामिल हो सकते हैं-

  • किसी छात्र द्वारा किया गया कोई भी आचरण, चाहे वह लिखित, मौखिक या व्यवहार-संबंधी हो, जो किसी दूसरे छात्र के साथ छेड़छाड़ या क्रूर व्यवहार करता हो। उदाहरण के लिए, किसी छात्र को अपमानजनक नामों से बुलाना।
  • उपद्रवी या अनुशासनहीन व्यवहार जिसके कारण किसी भी छात्र को झुंझलाहट, कठिनाई या मानसिक नुकसान हो सकता है। इसमें ऐसे मानसिक नुकसानों, झुंझलाहट या कष्ट की आशंका या डर भी शामिल हैं। उदाहरण के लिए, एक छात्र की नोटबुक्‍स चोरी करना और फेंक देना।
  • एक छात्र को एक ऐसा काम करने के लिए कहना, जो वह सामान्य रूप से नहीं करेगा, और जिसके कारण उसे शर्म, पीड़ा या शर्मिंदगी महसूस होती है, और उसके मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, भरी कक्षा में किसी छात्र से मजबूरन डांस करवाना।
  • कोई भी काम जो एक छात्र के मानसिक स्वास्थ्य और आत्मविश्वास को प्रतिकूल प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, किसी छात्र से कक्षा के सामने मजबूरन डांस करवाना और उसके लिए उसकी खिल्‍ली उड़ाना।
  • एक ऐसा कृत्‍य या दुर्व्‍यवहार, चाहे वह लिखित हो, मौखिक या ऑनलाइन (ईमेल, पोस्ट आदि), जिसके परिणामस्वरूप एक छात्र असहज हो जाए। इसमें प्रताड़‍ित होने वाले छात्र की कीमत पर इस तरह के कृत्‍य में भागीदारी के द्वारा मजे लेना शामिल है। उदाहरण के लिए, किसी छात्र के बारे में ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर अफवाहें फैलाना।

शैक्षणिक क्रि‍याकलाप में व्‍यवधान

रैगिंग किसी छात्र की पढ़ाई-लिखाई में खलल डाल सकती है। यदि कोई भी छात्र किसी अन्य छात्र की नियमित शैक्षणिक गतिविधि को रोकता या बाधित करता है, तो यह रैगिंग है। उदाहरण के लिए, यदि कोई वरिष्ठ छात्र किसी जूनियर छात्र को कक्षा में इतना परेशान करता है कि वह कक्षाओं में जाना बंद कर देता है, तो इसे रैगिंग माना जा सकता है।

किसी छात्र का उपयोग करना या उसका शोषण करना

रैगिंग दूसरे छात्र के शोषण का रूप ले सकती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र अपना होमवर्क किसी और छात्र से करवाता है, तो उसे रैगिंग माना जा सकता है। निम्नलिखित को रैगिंग के रूप में माना जाता है-

  • किसी व्यक्ति / समूह को सौंपे गए शैक्षणिक कार्यों को पूरा करने के लिए किसी भी छात्र का शोषण करना। उदाहरण के लिए, एक छात्र द्वारा कुछ अन्य छात्रों के होमवर्क असाइनमेंट करवाना।
  • पैसे की जबरन वसूली या किसी भी छात्र से जबरन खर्च करवाना। उदाहरण के लिए, एक छात्र से दूसरे छात्र/छात्रों के खर्चों का भुगतान करवाना।

शारीरिक शोषण

रैगिंग शारीरिक शोषण और हिंसा का रूप ले सकती है। निम्नलिखित को रैगिंग के रूप में माना जाता है-

  • उपद्रवी या अनुशासनहीन व्यवहार, जिसके कारण किसी भी छात्र को शारीरिक नुकसान होने की संभावना है, या कोई भी ऐसा काम जो किसी को शारीरिक नुकसान पहुंचाता है या पहुंचा सकता है या ऐसा डर पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक छात्र को पीटने की धमकी देना।
  • किसी छात्र को एक ऐसा काम करने के लिए कहना, जो वह सामान्य रूप से नहीं करेगा, और जिसके कारण उसे शर्म, पीड़ा या शर्मिंदगी महसूस होती है, और उसके शारीरिक हाल-चाल पर बुरा असर पड़ता है। उदाहरण के लिए, एक छात्र की पिटाई करना क्योंकि उसने किसी काम को करने के लिए वरिष्ठ के आदेशों का पालन नहीं किया था।
  • मारपीट, कपड़े उतरवाने, जबरन अश्लील और भद्दी हरकतें या इशारे आदि समेत यौन शोषण। उदाहरण के लिए, एक महिला छात्रा को जबरन कपड़े उतारने के लिए कहना।
  • कोई भी ऐसा काम जो किसी छात्र को शारीरिक नुकसान या किसी अन्य खतरे का कारण बनता है। मसलन, एक छात्र के भोजन में जुलाब डालना।

किसी अन्‍य छात्र के साथ भेदभाव करना

रैगिंग दूसरे छात्र के खिलाफ भेदभाव और पूर्वाग्रह का रूप ले सकती है। आपकी त्वचा, जाति, धर्म, जाति, नस्ल, लिंग, यौनिक रुझान, रंग-रूप, राष्ट्रीयता, क्षेत्रीय मूल, भाषाई पहचान, जन्म स्थान, निवास स्थान या आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर किसी भी दुर्व्‍यवहार को रैगिंग के रूप में माना जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी छात्रा को उसके क्षेत्रीय मूल के आधार पर लगातार छेड़ा जाता है और उसे अपशब्‍द कहे जाते हैं, या उसका उपहास किया जाता है क्योंकि वह अन्य छात्रों की तुलना में कमतर सामाजिक-आर्थिक स्‍तर से आती है, तो इसे रैगिंग माना जा सकता है।

रैगिंग के पीछे की मंशा कोई मायने नहीं रखती; भले ही यह मज़े के लिए किया गया हो, या खुशी हासिल करने के लिए, या अधिकार या श्रेष्ठता जतलाने के लिए-भारतीय कानून के तहत रैगिंग एक अपराध है।

यदि आपकी रैगिंग की जा रही है, तो आप कॉलेज के अधिकारियों या पुलिस से शिकायत कर सकते हैं।

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‘सहमति’ (कनसेन्ट)

एक वयस्क और एक बच्चे के बीच

वयस्क = उम्र 18 साल और उससे ज्यादा

बच्चा = उम्र 18 साल से कम

कानून यह नहीं मानता कि बच्चे में यौन संबंध करने के लिए सहमति देने की क्षमता है। इसका मतलब यह है कि यदि कोई वयस्क किसी बच्चे को किसी भी प्रकार की यौन गतिविधि में शामिल होने के लिए कहता है, और बच्चे ने यदि स्पष्ट रूप से हाँ कहा, या यह संकेत दिया कि इसमें उसकी सहमति हैं, तो भी इस गतिविधि को बाल यौन उत्पीड़न के रूप में माना जाएगा।

बच्चों के बीच यौन संबंध

यदि दो बच्चे यौन गतिविधियों में स्वेच्छा से शामिल होते हैं, तो भी इसे अवैध माना जाता है। लड़कियों और लड़कों, दोनो के लिए यौन गतिविधि के लिये सहमति देने की न्यूनतम उम्र 18 साल है।

यदि 16 वर्ष से अधिक उम्र का कोई लड़का, 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ किसी भी यौन गतिविधि में संलग्न/लिप्त होता है तो उसे अपराध माना जाता है, और यदि इस गतिविधि की रिपोर्ट की जाती है, तो लड़के पर कानून के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।

LGBTQ+ व्यक्ति को उत्पीड़न और हिंसा की संभावनाएं

आपको निम्नलिखित कारणों के चलते कई तरह के उत्पीड़न या हिंसा का सामना करना पड़ सकता है:

  • अपनी लिंग पहचान के लिए, जब आपको विशेष रूप से, जन्म में मिले लिंग से अलग स्वयंनिर्धारित लिंग से पहचाने जाने के चलते तंग किया जाएः उदाहरण के लिए, पुलिस द्वारा तीसरे लिंग के (ट्रांसजेंडर) व्यक्तियों को गिरफ्तार करने और उन्हें परेशान करने के लिए, बहुत बार भिखारी विरोधी कानूनों का उपयोग किया जाता है।
  • अपने यौन अभिविन्यास के अनुरूप, आपकी यौन प्राथमिकता और आपके साथी के चयन विकल्प के चलते, हो सकता है आपको तंग किया जाए। उदाहरण के लिए, बहुत से विचित्रलिंगी (क्वीर) व्यक्ति अपने यौन अभिविन्यास के सार्वजनिक होने पर सहज महसूस नहीं करते हैं, और ऐसे मामलों में कुछ लोग उनके लिंग को गुप्त रखने के बदले उनसे पैसे के लिए ब्लैकमेल कर सकते हैं।
  • यदि आप इस तरह के उत्पीड़न या हिंसा का सामना करते हैं, तो आपको शिकायत करने और सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, भले ही वो व्यक्ति जो आपको परेशान कर रहा है या चोट पहुंचा रहा है, आपके परिवार का ही सदस्य है, या शिक्षक है, या कोई और। तत्काल सुरक्षा के लिए, आप सरकारी हेल्पलाइन पर कॉल कर सकते हैं, जो आपको सलाह देगी कि आपको क्या कदम उठाने चाहिये, और आपके निवास स्थान पर आपकी सहायता करने के लिये पुलिस को भी भेज सकती है।

हिंसा के वे प्रकार, जिसका आपको सामना करना पड़ सकता हैं वे इस रूप में हो सकते हैं:

  • यौन हिंसा, जैसे बलात्कार या अन्य यौन अपराध, जैसे अनुचित स्पर्श, पीछा करना आदि। आपको विभिन्न प्रकार की ऑनलाइन यौन हिंसा का भी सामना करना पड़ सकता है।
  • शारीरिक हिंसा, जैसे कोई आपको घायल कर दे, चोट पहुंचा दे, या आपको घर में बंद रक्खे, आदि।
  • मनोवैज्ञानिक हिंसा, जैसे कोई व्यक्ति आपको चोट पहुंचाने की धमकी दे, आपको सहायता करने के नाम पर, या धन आदि के लिए ब्लैकमेल करे। यह आपके साथ ऑनलाइन भी हो सकता है।
  • यदि आप प्राथमिकी (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन जाने का निर्णय लेते हैं, तो जाने से पहले आप में आत्मविश्वास होना, और कानून की पूरी जानकारी होना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि ऐसी स्थितियां भी हो सकती हैं, जहां आप पुलिस अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किए जाएं। उदाहरण के लिए, पुलिस अधिकारी आपकी बात सुनने से इंकार कर दे, क्योंकि आप तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के एक व्यक्ति हैं, इसलिए यह आपके लिये महत्वपूर्ण है कि आप उस कानून को जानें, जिसके तहत आप शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

रैगिंग विरोधी कानून के तहत नियुक्त अधिकारी

रैगिंग को रोकने के लिए, प्रत्येक कॉलेज और विश्वविद्यालय को निम्नलिखित प्राधिकारणों  का गठन करना चाहिये-

ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी

प्रत्येक कॉलेज के लिए एक ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी का गठन करना अनिवार्य है, जिसमें निम्नलिखित सदस्यों होते हैं-

  • कॉलेज के प्रमुख
  • पुलिस के प्रतिनिधि
  • स्थानीय मीडिया
  • युवाओं के लिए काम करने वाले एन.जी.ओ.
  • अभिभावक प्रतिनिधि
  • संकाय प्रतिनिधि
  • छात्र प्रतिनिधि (फ्रेशर्स और सीनियर्स, दोनों)
  • परा-शिक्षण कर्मचारी

ऍण्‍टी रैगिंग कमेटी के कर्तव्य हैं –

  • सुनिश्चित करें कि संबद्ध कॉलेज, भारत में रैगिंग पर कानून का पालन कर रहा है
  • ऍण्‍टी-रैगिंग दल की गतिविधियों पर नज़र रखें
  • ऍण्‍टी-रैगिंग दल से सिफारिशें प्राप्‍त करें और रैगिंग प्रकरणों पर अंतिम कार्रवाई करें

ऍण्‍टी-रैगिंग दस्‍ता

प्रत्येक कॉलेज के लिए एक ऍण्‍टी-रैगिंग दस्‍ते का गठन करना अनिवार्य है, जो कॉलेज के प्रमुख, जैसे प्रिंसिपल या डीन द्वारा नामज़द होता है। इस दस्ते में कैंपस समुदाय के विभिन्न सदस्य जैसे शिक्षक, छात्र स्वयंसेवक आदि लोगों का प्रतिनिधित्‍व हाते है। पुलिस या मीडिया जैसे बाहरी प्रतिनिधि इस दस्ते का हिस्सा नहीं होते हैं।

ऍण्‍टी-रैगिंग दस्ते के कर्तव्य-

  • रैगिंग की किसी भी घटना की जांच-पड़ताल करना। कॉलेज के प्रमुख, माता-पिता या अभिभावक, संकाय के सदस्य, छात्र आदि सहित कोई भी किसी रैगिंग घटना के बारे में सूचित करने या शिकायत दर्ज करने के लिए ऍण्‍टी-रैगिंग दस्ते से संपर्क कर सकता है।
  • रैगिंग की घटना की जांच रिपोर्ट और अपनी सिफारिशें ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी को भेजें, जो फिर आगे की कार्रवाई करेगी।
  • हॉस्टल जैसे किसी भी स्थान पर जहां रैगिंग होने की संभावना होती है, वहां का औचक दौरा और निरीक्षण आदि करें।

मेंटरिंग / परामर्श सेल / कक्ष

प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के अंत में प्रत्येक कॉलेज के लिए एक मेंटरिंग सेल का गठन करना अनिवार्य है। यह उन छात्रों से बना होता है, जिन्होंने कॉलेज या संस्थान में शामिल होने वाले नये छात्रों के संरक्षक बनने की स्वयं पहल की है।

मेंटरिंग सेल का कर्तव्य, फ्रेशर्स या नये छात्रों को सहायता और मेंटरशिप / परामर्श देना है। कृपया ध्यान दें कि कानून के अनुसार, छह फ्रेशर्स पर एक मेंटर हो सकता है, और अधिक सीनियर स्तर के प्रत्येक मेंटर के मार्गदर्शन में छह संरक्षक होंगे। उदाहरण के लिए, यदि राम द्वितीय वर्ष का छात्र है, जिसमें छह फ्रेशर्स की मेंटरिंग की जानी है और श्याम तृतीय वर्ष का छात्र है, तो श्याम, राम और पांच अन्य ऐसे मेंटरों का मार्गदर्शन करेगा।

रैगिंग पर निगरानी सेल

प्रत्येक विश्वविद्यालय के लिए रैगिंग पर एक निगरानी सेल का गठन करना अनिवार्य है। रैगिंग पर निगरानी सेल के कर्तव्य हैं-

  • रैगिंग को रोकने के लिए विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी कॉलेजों की गतिविधियों का समन्वय करें।
  • मेंटरिंग सेल, ऍण्‍टी-रैगिंग स्क्वॅड और कॉलेजों के प्रमुखों से ऍण्‍टी-रैगिंग समिति की गतिविधियों पर रिपोर्ट प्राप्‍त करें।
  • रैगिंग विरोधी उपायों को प्रचारित करने के लिए कॉलेजों के प्रयासों की समीक्षा करें।
  • माता-पिता और छात्रों से रैगिंग जैसे कृत्‍यों में शामिल न होने, और रैगिंग में शामिल पाये जाने पर सज़ा भुुगतने के लिए तैयार रहने हेतु हस्ताक्षरित शपथपत्र प्राप्‍त करें।
  • ऍण्‍टी-रैगिंग उपायों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिहाज़ से विश्वविद्यालय के किसी भी उपनियम या अध्यादेश में संशोधन करें।
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