बुज़ुर्ग
- Legal Explainers (8)
मृत्यु के बाद भी भरण-पोषण का उत्तरदायित्व
माता-पिता के भरण-पोषण का कर्तव्य किसी व्यक्ति के लिये, स्वयम् के मृत्यु के बाद भी रहती है।
संतान द्वारा माता-पिता की देखभाल
भारतीय कानून के अनुसार, परिस्थितियों के आधार पर, सभी व्यक्तियों को अपने माता-पिता के भरण-पोषण और आश्रय की जिम्मेदारी लेना आवश्यक है, चाहे वो उनके जैविक माता-पिता हों, सौतेले हों, या दत्तक हों।
वरिष्ठ नागरिकों को परित्याग करने और उपेक्षा करने की सजा
यदि आप किसी वरिष्ठ नागरिक को किसी स्थान पर छोड़ देते हैं परित्याग करने के विचार से, और उनकी देखभाल नहीं करते हैं तो आपको इसके लिये तीन महीने तक का जेल और/या तो 5000 रुपये तक जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
हिंदू कानून के तहत भरण-पोषण का उत्तरदायित्व
जैविक/दत्तक माता-पिता जो हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख हैं और वृद्ध हैं, तो वे ‘हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण’ अधिनियम, 1956 के तहत अपने वयस्क संतानों से भरण-पोषण की मांग सकते हैं, यदि वे अपनी आय या संपत्ति से खुद का देखभाल करने में असमर्थ हैं।
‘आपराधिक प्रक्रिया संहिता’ (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसेड्यूर) के तहत भरण-पोषण
‘आपराधिक प्रक्रिया संहिता’ की धारा 125 के तहत यदि पर्याप्त संसाधनों वाला कोई व्यक्ति अपने माता-पिता को,