कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के सभी मामलों के लिए कानून एक ही तरह की सजा नहीं होती है। इसके बजाय, जांच करने वाली समिति यह सिफारिश करेगी कि पीड़िता के नियोक्ता के पास यदि अपने कार्यस्थल का ‘सेवा नियमावली’ है, तो वे उसके मुताबिक काम करे। अगर आपके पास ‘कर्मचारी हैंडबुक’ है तो उसे देखे कि आपका नियोक्ता यौन उत्पीड़क को कैसे दंडित करता है। यदि कार्यस्थल का ‘सेवा नियमावली’ नहीं हैं तो समिति सिफारिश करेगी कि जिला अधिकारी कार्रवाई करे। सजा के रूप में एक अभियुक्त को:
- लिखित माफीनामा देना होगा -बढ़ोतरी / पदोन्नति / वेतन वृद्धि से इंकार कर दिया जायेगा
- सामुदायिक सेवा करनी होगी
- चेतावनी दी जाय या निंदा की जाय
- काम से निलम्बित कर दिया जाय -काउंसेलिंग करवानी होगी
कार्यस्थल पर ‘सेवा नियमावली’ हो या नहीं, समिति यह भी सिफारिश कर सकती है कि नियोक्ता अभियुक्त के वेतन/मजदूरी से एक निश्चित राशि काट ले ताकि प्रताड़ित होने वाली महिला को मुआवजा अदा किया जा सके। यदि नियोक्ता अभियुक्त के वेतन से पैसा नहीं ले सकता क्योंकि वे काम नहीं कर रहे हैं या काम छोड़ चुके हैं तो समिति अभियुक्त को सीधे पीड़िता को मुआवजा देने का आदेश दे सकती है। अगर अभियुक्त ने मुआवजे का भुगतान नहीं किया तो समिति जिला अधिकारी से कह सकती है कि वह अभियुक्त से मुआवजे की राशि वसूल करे।
किसी फार्मासिस्ट के पेशेवर दुराचार के संबंध में किसी भी शिकायत को राज्य फार्मेसी परिषद या फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए लाया जा सकता है। प्रत्येक राज्य सरकार को एक राज्य फार्मेसी काउंसिल स्थापित करना आवश्यक है। राज्य आपसी समझौते के साथ संयुक्त राज्य परिषद बनाने के लिए भी स्वतंत्र हैं। भारत में सभी राज्य फार्मेसी काउंसिल की सूची यहां दी गई है।
शिकायत करने की प्रक्रिया
पंजीकृत फार्मासिस्ट के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया राज्य के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इससे संबंधित कानून राज्यों में निर्धारित किए जाते हैं और केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों में आपको अपनी शिकायत राज्य फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार को लिखित रूप से प्रस्तुत करनी होती है और इसके साथ-साथ आपको शिकायत का आधार भी बताना होता ही।
आम तौर पर, शिकायत में शिकायतकर्ता का विवरण और पता होना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि शिकायत में अनाम शिकायतों का प्रावधान नहीं है। यदि शिकायत में कोई भी जानकारी शिकायतकर्ता के व्यक्तिगत ज्ञान के भीतर नहीं है, तो ऐसी सूचना का स्रोत और
शिकायतकर्ता ऐसा क्यों मानता है और यह किन कारणों से सच है, यह सब स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए।
फार्मासिस्ट को दंड देना
शिकायत प्राप्त होने के बाद, उपयुक्त फार्मेसी काउंसिल व्यवसायी की सुनवाई करेगी। यदि वे दोषी पाए जाते हैं, तो काउंसिल उन्हें दंडित करेगी।
सजा काउंसिल द्वारा निर्धारित की जाती है और वह पूरी तरह से या एक निश्चित अवधि के लिए संबंधित रजिस्टर से व्यवसायी के नाम को हटाने का आदेश भी दे सकती है। इसका मतलब है कि फार्मासिस्ट उस अवधि के लिए अभ्यास नहीं कर पाएगा।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि निजी क्षेत्र में एक कर्मचारी के रूप में आपके अधिकार सुरक्षित हैं, आपको अपने नियोजन के अनुबंध की शर्तों को सावधानीपूर्वक पढ़ना और समझना चाहिए। इसमें ना केवल बुनियादी शर्तों का जिक्र होगा जैसे कि वेतन और नौकरी का विवरण, बल्कि नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के अधिकारों तथा कर्तव्यों का भी विस्तारपूर्वक वर्णन किया जाएगा। इसीलिए आपको हमेशा एक लिखित अनुबंध प्राप्त करने का आग्रह करना चाहिए और इस पर हस्ताक्षर करने से पहले इसे ध्यान से पढ़ना चाहिए क्योंकि इस पर हस्ताक्षर कर दिए जाने के बाद किसी भी शर्तों को बदलना मुश्किल होगा।
पीड़िता के नाते आपको यह अधिकार है कि आप अपने शिकायत और उसके बाद होने वाली कार्यवाही को व्यक्तिगत (निजी) रक्खें। कानून यह गारंटी देता है कि निम्नलिखित जानकारियाँ निजी हैं:
- आपकी पहचान और पता
- जिस व्यक्ति पर आप आरोप लगाते हैं उसकी पहचान और पता, साथ ही गवाहों के पहचान और पता।
- समिति द्वारा किए जा रहे सुलह /’कंसिलिएशन’ (‘शब्दावली’ में देखें कि इसका क्या मतलब है) या जांच के बारे में जानकारी।
- आंतरिक समिति या स्थानीय समिति की सिफारिशें
- नियोक्ता या जिला अधिकारी द्वारा की गई कारवाई
उपरोक्त सभी सूचनाओं को सार्वजनिक, प्रेस या मीडिया में किसी भी तरह से प्रकाशित, संप्रेषित या प्रसारित नहीं किया जा सकता है
एक पंजीकृत फार्मासिस्ट के कार्य, जो दुराचार की श्रेणी में आएंगे और जिन कार्यों के खिलाफ शिकायत की जा सकती है, उनमें शामिल हैं:
कानून का उल्लंघन
- फार्मासिस्ट अधिनियम के तहत नियमों का उल्लंघन (एक फार्मासिस्ट के कर्तव्यों से जुड़े उल्लंघन शामिल हैं, जिन्हें यहां देखा जा सकता है)।
- यदि फार्मेसी में काम करने वाला पंजीकृत फार्मासिस्ट किसी अन्य फार्मेसी / फार्मेसी कॉलेज / संस्थान / उद्योग / किसी अन्य संगठन में शिक्षण संकाय या अन्य के रूप में काम करता हुआ पाया जाता है, तो यह दुराचार के तहत आता है।
दवाओं का प्रबंधन
- ऐसी दवाओं का वितरण करना, जिसके लिए पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी प्रिसक्रिप्शन की आवश्यकता होती है।
- पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी की स्वीकृति / सहमति के बिना, खुद प्रिसक्रिप्शन बनाना।
पंजीकरण प्रमाण पत्र और संबंधित जानकारी
- फार्मेसी के मालिक को फार्मेसी में भाग लिए बिना अपने फार्मासिस्ट पंजीकरण प्रमाण पत्र का उपयोग करने की अनुमति देना।
- एक से अधिक फार्मेसी में उनके फार्मासिस्ट पंजीकरण प्रमाण पत्र देना।
- पांच वर्षों तक मरीजों के पर्चे / वितरण रिकॉर्ड को न बनाए रखना, और 72 घंटे के भीतर रोगी या एक अधिकृत प्रतिनिधि अनुरोध करने पर इन रिकॉर्ड को प्रदान करने से इनकार कर देना।
- फार्मेसी में राज्य फार्मेसी काउंसिल द्वारा दिए गए पंजीकरण प्रमाण पत्र को प्रदर्शित नहीं करना।
अनुचित आचरण या अपराध
- रोगी के साथ व्यभिचार या अनुचित आचरण करना, या किसी पेशेवर स्थिति का दुरुपयोग करके रोगी के साथ अनुचित संबंध बनाना।
- नैतिक अपराध या आपराधिक कृत्यों से जुड़े अपराधों के लिए अदालत द्वारा दी जाने वाली सजा।
- रोगियों की प्राप्ति के लिए एजेंटों का उपयोग करना।
सूचना की गोपनीयता न बनाए रखना और उन्हें उजागर करना
- रोगों और उपचारों के बारे में वैसे लेखों को छापना और साक्षात्कार देना, जिसका प्रभाव विज्ञापन के तौर पर या पेशे की बढ़ोतरी के लिये किया जा सकता हो। हालांकि एक फार्मासिस्ट अपने नाम के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छ रहन सहन के मामलों में प्रेस में लिखने के लिये स्वतंत्र हैं। वे अपने नाम के तहत सार्वजनिक व्याख्यान दे सकते हैं, वार्ता कर सकते हैं, और इनकी घोषणा प्रेस में भी कर सकते हैं।
- अपने पेशे के अभ्यास के दौरान मालूम हुए मरीज के रहस्यों का खुलासा करना। हालांकि, प्रकटीकरण की अनुमति निम्नलिखित मामलों की जा सकती है:
- अदालत में, पीठासीन न्यायिक अधिकारी के आदेश के तहत;
- उन परिस्थितियों में, जहां एक विशिष्ट व्यक्ति और / या समुदाय के लिए किसी गंभीर और ज्ञात जोखिम की संभावना हो; तथा
- उल्लेखनीय रोगों के मामले में।
- केवल धार्मिक आधार पर एक पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी के पर्चे पर लिखी दवाओं को देने से इनकार करना।
- किसी भी मेडिकल या अन्य पत्रिका में मरीजों की अनुमति के बिना उनकी तस्वीरें या मामले की रिपोर्ट प्रकाशित करना, जिससे मरीज़ की पहचान की जा सकती हो। हालांकि, अगर पहचान का खुलासा नहीं होता है, तो सहमति की आवश्यकता नहीं है।
इसके अलावा, यदि कोई पंजीकृत फार्मासिस्ट फार्मेसी चला रहा है और अन्य फार्मासिस्टों की मदद के लिए काम कर रहा है, तो अंतिम जिम्मेदारी पंजीकृत फार्मासिस्ट की होती है।
यह सभी प्रकार के पेशेवर दुराचारों की एक संपूर्ण सूची नहीं है। हालांकि, ऊपर वर्णित परिस्थितियों को पेशेवर दुराचारों के रूप में माना जा सकता है, और जिम्मेदार फार्मेसी काउंसिल उस पर कार्रवाई कर सकती है। इसके अलावा, इसका मतलब यह होगा कि यहां वर्णित फार्मासिस्ट के किसी भी निर्धारित नैतिक मानकों के उल्लंघन के आधार पर उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
कानून के तहत किसी नियोक्ता को महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्य माहौल बनाने के लिए कुछ कदम उठाने होते हैं।
कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षित महसूस करना चाहिए; अपने सहकर्मियों से, साथ साथ अन्य लोगों से भी जो सिर्फ कार्यस्थल का दौरा करते हैं। अतः यह नियोक्ताओं के लिए जरूरी है कि वे कम्पनी के यौन उत्पीड़न नीति को इस तरह प्रदर्शित करें कि सबको यह स्पष्ट दिखे। उन्हें यह आदेश भी दर्शाना होगा कि ‘आंतरिक शिकायत समिति’ को गठित किया गया है, जिसे कर्मचारियों के साथ-साथ कार्यस्थल पर आने वाले आगंतुक भी देख सकेंगे।
नियोक्ताओं के लिये अनिवार्य है कि वेः
- एक विस्तृत यौन उत्पीड़न नीति बनायें और उसे प्रस्तुत करें
- कर्मचारियों को यौन उत्पीड़न के मुद्दे से अवगत करायें
- कार्यस्थल पर समितियों का गठन करें जिससे कि यौन उत्पीड़न की शिकार महिला कर्मचारी समिति के पास अपनी शिकायत दर्ज कर सकें।
- सुनिश्चित करें कि समिति के सदस्य समुचित संख्या में हों, और अच्छी तरह से प्रशिक्षित हों।
- प्रति वर्ष एक सालाना रिपोर्ट तैयार करें और उसे राज्य सरकार को भेज दें।
जिला अधिकारी भी एक नोडल अफसर को नियुक्त करेंगे, जो स्थानीय स्तर पर शिकायत ले सकता है।
नैदानिक मनोवैज्ञानिक (साइकोलॉजिस्ट) मानसिक, व्यवहारिक और भावनात्मक बीमारियों के निदान और मनोवैज्ञानिक उपचार में प्रशिक्षित एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर है। हालांकि, मनोचिकित्सक के विपरीत, एक मनोवैज्ञानिक के पास मेडिकल डिग्री नहीं होती है, और इसलिए, वह दवाएं नहीं दे सकता है।
इसके अलावा, एक नैदानिक मनोवैज्ञानिक को मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है, जिसके पास है:
- क्लिनिकल साइकोलॉजी में योग्यता, किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से, जिसे भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा अनुमोदित और मान्यता प्राप्त है, या
- साइकोलॉजी या क्लीनिकल साइकोलॉजी, या एप्लाइड साइकोलॉजी में पोस्टग्रेजुएट डिग्री, और दो साल का पूर्णकालिक कोर्स पूरा करने के बाद, क्लीनिकल साइकोलॉजी या मेडिकल और सोशल साइकोलॉजी में मास्टर ऑफ फिलॉसफी। इसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त किसी भी विश्वविद्यालय से पर्यवेक्षित (सुपरवाइज्ड) नैदानिक प्रशिक्षण शामिल होना चाहिए, और जिसे भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा अनुमोदित और मान्यता प्राप्त हो।
नैदानिक मनोवैज्ञानिक लोग, पुनर्वास पेशेवरों की व्यापक श्रेणी में आते हैं। उदाहरण के लिए, इसमें अन्य पेशेवर जैसे कि ऑडियोलॉजिस्ट, भाषण (स्पीच) चिकित्सक आदि शामिल हैं। भारतीय पुनर्वास परिषद भारत में सभी पंजीकृत पुनर्वास पेशेवरों का एक रजिस्टर रखता है। आप यहां नैदानिक मनोवैज्ञानिकों के बारे में विस्तार से जान सकते हैं।
यदि आप अधिनियम या बाल श्रम कानून के नियमों का पालन करने में विफल रहे हैं तो कानून आपराधिक मुकदमा चलाने के विकल्प प्रदान करता है। कानूनी भाषा में इसे “कंपाउंड ऑफेन्स या अपराध” कहते हैं। कंपाउंडिंग का मतलब है निपटारा करना। यदि आप निम्नलिखित दो श्रेणियों में से एक में आते हैं, तो आप अपने अपराध को कम कर सकते हैं:
- पहला वह जो पहली बार अपराध करता है।
- दूसरे वे माता पिता या अभिभावक, जो बाल श्रम प्रावधानों और कानून का पालन नहीं करते हैं।
अपराध को कम करने के लिए, इन चरणों का पालन करें:
- आप सबसे पहले इसके लिए आवेदन करें और आवेदन के लिए पैसे का भुगतान करने के बाद ही जिला मजिस्ट्रेट से संपर्क करें।
- केंद्र सरकार को आवेदन के साथ की गई भुगतान की राशि: अधिकतम जुर्माने की 50% होनी चाहिए
- यदि आप दिए गए समय के भीतर राशि का भुगतान नहीं करते हैं, तो आपको इस अपराध के लिए अधिकतम 25% अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाएगा। जब आप राशि का भुगतान कर देंगे तो जिला मजिस्ट्रेट आपको “कंपाउंडिंग का सर्टिफिकेट” जारी करेगा।
यदि आप राशि का भुगतान करने में विफल रहते हैं, तो मामले की आगे की कार्यवाही बाल श्रम कानूनों के अनुसार जारी रखी जाएगी, यानी आप पर मुकदमा चलाया जाएगा और दंडित किया जाएगा, लेकिन यदि आप राशि का भुगतान करते हैं, तो आपको अदालत में पेश नहीं किया जा सकता है, क्योंकि आप पहले ही भुगतान कर चुके हैं और मामले का निपटारा कर चुके हैं।
गोपनीयता क्या है?
जिस संस्था या कंपनी के साथ आप काम कर रहे हैं, उसे अपने व्यापारिक रहस्यों और अन्य गोपनीय व्यापारिक सौदों की सुरक्षा करने का अधिकार है। इसलिए, आपके रोजगार अनुबंध में एक उपनियम आपको नियोक्ता की किसी भी गोपनीय जानकारी को संगठन के बाहर किसी को भी साझा करने या प्रकट करने से रोकता है। इस उपनियम को गोपनीयता के उपनियम के रूप में जाना जाता है। कभी-कभी इसे गैर-प्रकटीकरण उपनियम के रूप में भी संदर्भित किया जाता है।
गोपनीयता आप पर कब लागू होती है?
गोपनीयता के उपनियम केवल कंपनी में रोजगार करने के दौरान ही लागू नहीं होता, बल्कि उसके बाद भी होता हैं.. यदि आप अपना रोजगार समाप्त होने के बाद गोपनीय जानकारी साझा करते हैं, तो यह आपके अनुबंध का उल्लंघन होगा और आपका नियोक्ता आपके खिलाफ मामला दर्ज करा सकता है।
इसका मतलब यह नहीं है कि आप समान काम करने वाली कंपनी द्वारा नियोजित नहीं किए जा सकते हैं। कानूनी तौर पर, आप जहां भी चाहें, वहां काम करने का आपको अधिकार है, लेकिन आप अपने नए रोजगार में अपने पिछले नियोक्ता की किसी भी गोपनीय जानकारी का खुलासा नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए, यदि आप पहले P&G के साथ काम कर रहे थे और आपको अब यूनिलीवर के नौकरी का प्रस्ताव मिला है, तो आपको यह नौकरी स्वीकार करने से प्रतिबंधित नहीं किया जाएगा। लेकिन आप P&G के व्यापार रहस्यों का खुलासा यूनिलीवर में नहीं कर सकते।
अनुबंध में कोई गोपनीयता उपनियम नहीं
यदि आपके अनुबंध में कोई गोपनीयता उपनियम नहीं है, तो भी आपका अपने पूर्व-नियोक्ता के प्रति निष्ठा का कर्तव्य बनता है कि आप उनके व्यापार रहस्यों और उनके साथ अपने रोजगार के दौरान सीखी गई गोपनीय जानकारी का दूसरों के सामने खुलासा या अपने स्वयं के लाभ के लिए उपयोग न करें। कुछ मामलों में, आप पर आपराधिक विश्वासघात का मुकदमा भी चलाया जा सकता है।
10 से अधिक कर्मचारियों वाले कार्यस्थलों पर एक ऐसी समिति गठित करना आवशयक है जो विशेष रूप से यौन उत्पीड़न के मामलों को संभालती है। इसे ‘आंतरिक शिकायत समिति’ के नाम से जाना जाता है। इस समिति में ये लोग शामिल होने चाहिए:
- वरिष्ठ स्तर की कार्यरत महिला हो, जो समिति की सभापति होगी
- यदि मामला छात्रों से संबंधित है, तो तीन छात्र सदस्य
- गैर सरकारी संगठन या ऐसी संस्था का एक सदस्य जो महिलाओं की विषयों के प्रति प्रतिबद्ध हो, या फिर ऐसा व्यक्ति जो यौन उत्पीड़न के मामलों से अच्छी तरह परिचित हो। इस सदस्य को उनकी सदस्यता/सेवा के लिए भुगतान किया जायेगा।
- इसके कम से कम आधे सदस्य महिलाएं होंगी
- वरिष्ठ प्रशासनिक पदों पर आसीन लोग, जैसे कुलपति, रजिस्ट्रार, डीन, या विभागाध्यक्ष इसके सदस्य नहीं हो सकते हैं।
- सदस्यों के लिए तीन साल का कार्यकाल होगा। उच्च शिक्षण संस्थान ऐसी व्यवस्था लागू कर सकते हैं जहां हर साल, एक तिहाई सदस्य बदलते रहते हैं।
यदि सभापति अपनी शक्तियों का उल्लंघन करते हुए कार्यवाई करता है तो उन्हें हटा दिया जाएगा और नया नामांकन किया जायेगा।
आंतरिक शिकायत समिति को, शिकायत लेने और उचित समय के अंदर जाँच करने के लिए, अधिनियमों का पालन करना होगा। कंपनी या संस्था को, आंतरिक शिकायत समिति को जाँच पूरी करने के लिए जो चीजें जरूरते हों, उसे उपलब्ध करानी होगी।