हमने ये वीडियो आस्क न्याय पर मिले कुछ सवालों के जवाब साझा करने के लिए बनाए हैं
Theme: Government & Elections
राज-द्रोह का अर्थ
जब कोई भी सरकार के प्रति घृणा या असंतोष या विद्रोह करने का प्रयास करता है, तब उसने देशद्रोह का कार्य किया है। देशद्रोह का कार्य निम्नलिखित तरीकों में से किसी एक के माध्यम से किया जाता है:
-बोले या लिखे गए शब्दों से। -संकेत, वीडियो, चित्र या कार्टून जैसे दृश्यों के चित्रण से।
राजद्रोह के कार्य का परिणाम हिंसा या सार्वजनिक अव्यवस्था हो, या हिंसा या सार्वजनिक अव्यवस्था फैलाने का प्रयास होना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न निर्णयों में माना है कि राजद्रोह का कानून केवल वहीं लागू होता है, जहाँ
-एक व्यक्ति किसी हिंसा का कारण बनता है, या -एक व्यक्ति लोगों को हिंसा करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
उदाहरण के लिए, एक गाँव के नेता, श्री रामपाल, एक भाषण देते हैं जहाँ वह लोगों को भारत से अलग होने के लिए सरकार के खिलाफ विद्रोह करने के लिए कहते हैं। इसके चलते सार्वजनिक अव्यवस्था और दंगों होते हैं, और साथ-साथ सरकार के खिलाफ बहुत नफरत पैदा होती है। श्री रामपाल को देशद्रोह का उत्तरदायी माना जायेगा।
एलजीबीटी व्यक्तियों की लिंग पहचान
एलजीबीटी समुदाय में कई स्वयं-निर्धारित समूह शामिल हैं, और “LGBTQ” शब्द का अर्थ लेस्बियन (समलैंगिक स्त्री), गे (समलैंगिक पुरुष), बाइसेक्सुअल (उभयलिंगी), ट्रांसजेंडर (हिज़ड़ा), क्वेअर (विचित्रलिंगी) समुदाय से है और “+” चिह्न, LGBTQ के व्यापक स्तर को संदर्भित करता है, जिसमें ऐसे ही अन्य लैंगिक पहचान के लोग भी शामिल हैं।
न्यायालयों ने यह स्वीकार किया है कि यदि कोई व्यक्ति जन्म के समय मिले लिंग के साथ खुद की पहचान करने में असमर्थ है तो उसे अपने लिंग का चयन करने का अधिकार है। यह चुनाव तब किया जा सकता है, जब कोई व्यक्ति अपने शरीर के आंतरिक और व्यक्तिगत अनुभव, शारीरिक बनावट, बोलचाल का लहजा, हाव-भाव आदि को समझने लगा है। इसे ‘लिंग पहचान/निर्धारण’ के रूप में जाना जाता है।
भारत में आपको यह अधिकार है कि आप खुद के निर्धारित किए गये लिंग से पहचाने जाएं। यह वह लिंग हो सकता है, जो आपको जन्म से मिला हो, या वह लिंग जिसके साथ आप खुद को जोड़ने लगते हैं, जैसे जैसे आप बड़े होते हैं। अपने पूरे जीवन में, आप अपने लिंग की पहचान को कई बार बदल सकते हैं। अभी कानून के तहत, तीन लिंगों को मान्यता दी गई है: ‘पुरुष, ‘महिला’ और ‘तीसरा लिंग’ (हिज़ड़ा -‘ट्रांसजेंडर’)। उदाहरण के लिए, आपको जन्म के समय ‘पुरुष’ माना गया हो, लेकिन बड़े होने के दौरान आप अपने लिंग का निर्धारण एक हिज़ड़े / ट्रांसजेंडर व्यक्ति के रूप में कर सकते हैं।
आप अपने लिंग की पहचान को बदलने के लिए निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:
- आप अपने द्वारा निर्धारित किए गए नए लिंग के अनुसार अपना नाम बदल सकते हैं।
- आप अपने लिये ‘लिंग सकरात्मक चिकित्सा’ (जेंडर अफ़र्मेटिव थेरेपी) करा सकते हैं, जिसके अंतर्गत कई चिकित्सीय उपचार शामिल हैं, जिसके द्वारा आप अपने नये लिंग पहचान की पुष्टि के लिए विभिन्न चिकित्सीय विकल्पों को आजमा सकते हैं।
- यदि आप अपने नये लिंग की पुष्टि कर लेते हैं, तो अपने नये लिंग की पहचान को दर्शाने के लिए, आप नए दस्तावेज़ बनवा सकते हैं, या अपने पुराने दस्तावेज़ों को अपडेट करा सकते हैं।
भारत में नागरिकता
किसी नागरिक की नागरिकता, एक विशेष देश द्वारा दी गई एक वैध कानूनी प्रस्थिति/स्टेटस है, जिसे वहां की सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है। भारत के नागरिकों के अधिकार, गैर-नागरिकों से अलग हैं। उदाहरण के लिए, भारत के नागरिक ही केवल यहां चुनाव लड़ सकते हैं, आदि।
नागरिकता का प्रमाण
भारत में सरकार ने यह अनिवार्य नहीं किया है, कि सभी नागरिकों के पास, भारतीय नागरिक मानें जाने के लिये, सिर्फ आसाम को छोड़ कर, एक विशेष दस्तावेज होना चाहिये। आज, भारतीय नागरिक यह निर्णय ले सकते हैं कि वे अपनी पहचान के लिये कौन सा प्रमाण प्राप्त करना चाहते हैं, और यह उस बात कर निर्भर करता है कि वह कार्ड/दस्तावेज़ कौन सी सेवा प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, आयकर रिटर्न फाइल करने के लिये आप के पास अपना पैन कार्ड होना चाहिए, या मतदान करने के लिए मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) होना चाहिये, लेकिन सरकार ने, इन सभी पहचान के प्रमाण पत्रों में से किसी को भी अपनी पहचान के लिये रखने को, अनिवार्य नहीं किया है।
कृपया इस पर ध्यान दें कि इनमें से पहचान का कोई भी प्रमाण, जैसे आधार या पासपोर्ट, आपके भारत की नागरिकता का निर्णायक प्रमाण नहीं है।
भारतीय नागरिकता प्राप्त करनाभारतीय नागरिकता प्राप्त करना
कानून के तहत, आपको भारतीय नागरिक माना जाता है यदि आप भारत में पैदा हुए हैं, और नीचे दिए गए 3 श्रेणियों में से किसी एक में आते हैं:
- यदि आपका जन्म 26 जनवरी 1950 से 1 जुलाई 1987 के बीच हुआ है: आप यहां के नागरिक हैं, भले ही आपके माता-पिता की नागरिकता कुछ भी हो।
- यदि आपका जन्म 1 जुलाई 1987 से 3 दिसंबर 2004 के बीच हुआ है: आपके जन्म के समय आपके माता-पिता में से किसी एक को भारतीय नागरिक होना जरूरी है।
- यदि आपका जन्म 3 दिसंबर 2004 को, या उसके बाद हुआ है: आपके माता और पिता दोनों को भारतीय नागरिक होना चाहिए; या यदि आपके माता-पिता में से केवल एक नागरिक है, तो दूसरा अवैध आप्रवासी नहीं है।
तीन अन्य प्रक्रियाएं हैं, जिनका अनुसरण भारतीय नागरिक बनने के लिए किया जा सकता है, जैसे वंशानुगत रूप से, प्राकृतिकरण और पंजीकरण। यदि आप भारत के बाहर पैदा हुए थे, तो आप कुछ मामलों में इन माध्यमों से भी भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय निवासी और अन्य, जो जन्म से नागरिक नहीं हैं, भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए, यहां क्लिक करें।
भारतीय नागरिकता की समाप्ति
भारतीय नागरिक के रूप में आपकी प्रस्थिति (स्टेटस) समाप्त की जा सकती है यदि:
- आप अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दें।
- आप स्वेच्छा से दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त करते हैं।
इसके अलावा, यदि आप एक भारतीय नागरिक के रूप में पैदा नहीं हुए हैं, और आप कुछ परिस्थितियों में, प्राकृतिकरण या पंजीकरण द्वारा नागरिकता प्राप्त कर चुके हैं, तो सरकार आपको भारतीय नागरिकता से वंचित कर सकती है:
- यदि आप भारत के संविधान के प्रति अपनी निष्ठाहीनता दिखाते हैं,
- यदि आपकी नागरिकता कपटपूर्ण तरीके से, झूठे प्रतिनिधित्व से, या कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को प्रकट न करके, इत्यादि तरीकों से प्राप्त की गई थी,
- यदि, किसी भी युद्ध के दौरान जिसमें भारत संलग्न है, आपने किसी दुश्मन के साथ अवैध रूप से व्यापार किया है, या संचार किया है, या दुश्मन की सहायता करने वाले किसी व्यवसाय से जानबूझकर जुड़े रहे हैं,
- यदि आपको भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकरण/प्राकृतिकरण के 5 साल के अन्दर, किसी अन्य देश में आपको कम से कम 2 साल के जेल की सजा सुनाई गई हो,
- यदि आप 7 वर्षों से अधिक समय से भारत से बाहर रह रहे हैं, बिना उस देश के किसी भी शैक्षणिक संस्थान में दाखिला लिए, या बिना भारत सरकार की सेवा में बने रहने के, या बिना किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन की सेवा में रहने के, जिसका भारत एक सदस्य है। आपको नागरिकता से वंचित किया जा सकता है, यदि इस अवधि के दौरान, आपने भारतीय नागरिक होने के अपने इरादे को, निर्धारित आवश्यकताओं के माध्यम से, प्रदर्शित नहीं किया है।
अधिक जानकारी के लिए इस सरकारी संसाधन को पढ़ें
सरकार के प्रति असंतोष
एक गतिविधि देशद्रोह तब है, जब आपकी गतिविधि के कारण लोगों के बीच सरकार के प्रति घृणा या अवमानना की अनुभूति होती है। यदि कोई व्यक्ति कहे गए या लिखित शब्दों का, या इशारों का उपयोग करता है, जिसका उद्देश्य लोगों को प्रोत्साहित करना है:
-सरकार के अधिकार की अवहेलना करने के लिये, या -सरकार के अधिकार का विरोध करने के लिये।
ये कार्य लोगों को हिंसा के लिए प्रेरित करे और सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करे।
सार्वजनिक अव्यवस्था या हिंसा के माध्यम से लोगों में, सरकार की अवज्ञा करने या सरकार का विरोध करने का प्रयास भी, देशद्रोह का कार्य हो सकता है।
आपके पहचान दस्तावेज़ों में आपका लिंग
आपके पहचान दस्तावेज़ आपके अधिकारों को सुविधाजनक बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जैसे कि स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा आदि का अधिकार। ये दस्तावेज़ दिन-प्रतिदिन की गतिविधियां, जैसे एक ‘सिम’ कार्ड या एक बैंक खाते के आवेदन करने आदि के लिए भी महत्वपूर्ण है। आप जिस लिंग के साथ जुड़े रहना चाहते हैं, उस लिंग का निर्धारण करते हुए अपना पहचान दस्तावेज़ प्राप्त करना आपका अधिकार है।
सरकार द्वारा जारी पहचान पत्रों में लिंग को मान्यता दी जाती है
भारत में पहचान दस्तावेज़ केवल 3 श्रेणियों को मान्यता देते हैं, जो हैं ‘पुरुष’, ‘महिला’ और ‘तीसरा लिंग’ (हिज़ड़ा – ‘ट्रांसजेंडर’)। यदि आप ऐसे किसी भी रूप या प्रक्रिया से रूबरू होते हैं, जो आपको ‘तीसरा लिंग’ (हिज़ड़ा – ‘ट्रांसजेंडर’) चुनने का विकल्प नहीं देती है, तो आप ये कर सकते हैं:
- अधिकारियों से पूछें कि आपके पास अन्य क्या विकल्प है
- पहचान प्रमाण प्राप्त करने के लिये गैर सरकारी संगठनों (‘एनजीओ’) और वकीलों की मदद लें
- अपने लिंग की पहचान के प्रमाण की एक कॉपी साथ रखें।
आपको कम से कम नीचे दिए गए पहचान प्रमाण पत्रों में से एक को प्राप्त करने के लिये कोशिश करनी चाहिए ताकि आपके लिए दूसरे दस्तावेज़ों के आवेदन करने की प्रक्रिया आसान हो जाए। भले ही पूरे भारत में कई पहचान दस्तावेज़ समान ही हैं, लेकिन उन्हें प्राप्त करने की प्रक्रिया अलग अलग हो सकती है, इसलिए आपको अपने राज्य के भीतर की जरूरतों को समझना महत्वपूर्ण है। आप किसी ऐसे व्यक्ति से परामर्श ले सकते हैं, जो पहले से ही एक ऐसा पहचान पत्र प्राप्त कर चुका है, या आप किसी वकील, गैर सरकारी संस्थाओं आदि से मदद ले सकते हैं।
पहचान प्रमाण प्राप्त करना (आईडी प्रूफ)
भारत में, अपने पहचान का प्रमाण प्राप्त करना सबसे महत्वपूर्ण काम है, क्योंकि पहचान प्रमाण पत्र में आपका व्यक्तिगत विवरण रहता है, जो प्राधिकारियों के लिए आपकी पहचान को निर्धारित करने, और सत्यापित करने के लिए उपयोगी होता है। पहचान प्रमाण पत्र (आईडी प्रूफ) का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है जिनमें शामिल हैं:
- सरकारी सुविधाएं (हितलाभ): पहचान प्रमाण पत्र, जैसे कि राशन कार्ड, आपको सरकारी हितलाभों के लिए आवेदन करने और प्राप्त करने में सक्षम बनाते हैं, जैसे कि रियायती मूल्य पर खाद्य पदार्थ, आदि।
- आयु और पते/निवास का प्रमाण: विभिन्न पहचान प्रमाण पत्र (आईडी प्रूफ) पते और आयु के प्रमाण के रूप में काम करते हैं, जो दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों के लिए आवश्यक हैं। उदाहरण के लिए, पैन कार्ड का उपयोग, बैंक में खाता खोलने के लिए किया जा सकता है।
- फोटो पहचान प्रमाण: विभिन्न पहचान प्रमाण पत्र (आईडी प्रूफ) फोटो पहचान के प्रमाण के रूप में काम करते हैं। उदाहरण के लिए, जब आप किसी हवाई अड्डे में प्रवेश करते हैं, तो आपको एक फोटो पहचान पत्र देने की आवश्यकता होती है, जैसे कि आपका ड्राइविंग लाइसेंस, जो आपके चेहरे को पहचान करने में मदद करता है।
- सरकारी सेवाओं का उपयोग करने में: पहचान प्रमाण पत्र (आईडी प्रूफ) आपको कई सेवाओं का लाभ उठाने में मदद करते हैं, जैसे कि कार चलाना, मोटरसाइकिल चलाना आदि। उदाहरण के लिए, पासपोर्ट आपको विदेश यात्रा करने के लिये सक्षम बनाता है।
- आपको पहचान का कम से कम एक प्रमाण प्राप्त करने का प्रयास जरूर करना चाहिए, इससे अन्य पहचान प्रमाण पत्र (आईडी प्रूफ) प्राप्त करने की प्रक्रिया सहज हो जाती है। कृपया ध्यान दें, कि भारत में नागरिकता का कोई प्रमाण नहीं है। आपके अपने पहचान प्रमाण पत्र (आईडी प्रूफ) और संबंधित दस्तावेजों का उपयोग केवल आपकी प्रमाणिकता और आप कौन हैं, को सत्यापित करने के लिए किया जाता है।
पहचान प्रमाण पत्रों (आईडी प्रूफ्स) के प्रकार
भारत सरकार विभिन्न पहचान दस्तावेजों को जारी करती है। सबसे अधिक इस्तेमाल किये जाने वाले पहचान प्रमाण पत्र/दस्तावेज हैं:
- आधार कार्ड
- पासपोर्ट
- मतदाता पहचान प्रमाण पत्र (वोटर आईडी)
- पैन कार्ड
- ड्राइविंग लाइसेंस
- राशन कार्ड
- जन्म प्रमाणपत्र
- मैट्रिक प्रमाणपत्र
पहचान के प्रमाण के रूप में स्वीकार किए जाने वाले दस्तावेजों की पूरी सूची, यहां देखें।
अधिक जानकारी के लिए इस सरकारी संसाधन को पढ़ें
भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
भारत के संविधान के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के कारण निम्नलिखित कार्य राजद्रोह की श्रेणी में नहीं आते है:
-सरकार की नीतियों और उनके कार्यों की आलोचना। -सरकार के खिलाफ, सद्भावना से की गई कोई भी आलोचना। -सरकार के कामकाज में सुधार के लिए की गई, कोई भी आलोचना।
दूसरे शब्दों में, सरकार या उसकी एजेंसियों के उपायों या कार्यों पर कड़े शब्दों में टिप्पणी करना सरकार के प्रति बगावत नहीं है। जब तक किसी व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द, लोगों के बीच सरकार के प्रति शत्रुता और द्रोह पैदा नहीं करते, और इसके लिये सार्वजनिक अव्यवस्था या हिंसा का उपयोग नहीं करते, तो यह देशद्रोह का कार्य नहीं है।
उदाहरण 1:
-अगर अमित सरकार में भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए ‘द हिंदू’ अखबार के लिये एक कार्टून बनाते हैं, तो यह देशद्रोह नहीं कहा जायेगा। -यदि कोई फिल्म निर्माता जम्मू-कश्मीर की हिंसा पर एक वृत्तचित्र बनाता है और उसमें सरकार की कार्रवाई की आलोचना करता है, तो वह देशद्रोह नहीं होगा।
उदाहरण 2:
-यदि बॉबी विधान सभा के आम चुनावों का बहिष्कार करने के लिए सार्वजनिक पुस्तकालय में पोस्टर चिपकाते हैं और लिखते हैं “लोगों का शोषण करने वाले मालिकों के लिए कोई वोट नहीं”, तो यह देशद्रोह नहीं है। -यदि राहुल अपने क्षेत्र में सड़कों के रखरखाव के लिए अपनी फेसबुक वॉल पर सरकार की आलोचना करते हैं, और सरकार के बारे में बुरी बातें कहते हैं, तो यह देशद्रोह नहीं कहलायेगी। -अगर तान्या, बिना किसी उत्तेजना या हिंसा के, या घृणा या हिंसा को उत्तेजित करने का प्रयास किए बिना, सरकार की किसी भी प्रशासनिक या अन्य कार्यवाही के खिलाफ अपना गुस्सा व्यक्त करती हैं, तो यह देशद्रोह नहीं कहा जायेगा।
उदाहरण 3:
-अगर राज किसी मंच पर, किसी खास समुदाय के साथ चल रहे अन्याय के बारे में उग्र भाषण देते हैं, तो उनका भाषण देना देशद्रोह नही होगा अगर वह किसी हिंसा को नहीं भड़काता है, ना ही किसी सार्वजनिक अव्यवस्था का कारण बनता है। -यदि रामू ने नारा दिया कि “मुझे सरकार से नफरत है, सरकार भ्रष्ट है”, यह देशद्रोह का अपराध नहीं है। अगर यह नारा लोगों के बीच हिंसा के साथ-साथ सरकार के प्रति नफरत फैलाने का काम करता है, तो यह देशद्रोह का अपराध होगा।
LGBTQ+ व्यक्तियों के लिए लिंग पहचान का प्रमाण पत्र
लिंग की पहचान एक व्यक्ति की आत्म-पहचान को पुरूष, महिला, तीसरा लिंग (ट्रांसजेंडर) या अन्य निर्धारित किए गए वर्ग के रूप में संदर्भित करता है, जैसे इंटरसेक्स यानि मध्यलिंगी। जब आप अधिकारियों या अन्य लोगों से किसी भी परेशानी का सामना करते हैं, जो यह चाहते हैं कि आप जिस लिंग से अपनी पहचान जोड़ते हैं, उसे साबित करें, तो आप उन्हें नीचे दिए गए दस्तावेजों को दिखा सकते हैं।
विकल्प 1: हलफनामा (एफिडेविट) या अंडरटेकिंग
एक हलफनामा / अंडरटेकिंग ऐसा दस्तावेज़ होता है, जिनमें आपके द्वारा दिए गए तथ्य शामिल रहते हैं, जैसे आपका वांछित नया नाम, वह लिंग जिससे आप खुद को जोड़ पाते हैं, आदि। आपको अपने हलफनामे / अंडरटेकिंग को एक नोटरी या शपथ आयुक्त (Oath Commissioner) द्वारा सत्यापित कराना होता है, जो इस पर मुहर लगाएंगे और हस्ताक्षर करेंगे। इससे यह एक वैध कानूनी दस्तावेज़ बन जाता है, जिसे पहचान प्रमाण के सबूत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, आप न केवल अपना नाम बदलते समय, बल्कि आधार कार्ड बनवाते समय, बैंक खाता खोलते समय, सिम कार्ड आदि प्राप्त करते समय, इस हलफनामा / अंडरटेकिंग का उपयोग कर सकते हैं। आपका हलफनामा / अंडरटेकिंग एक दस्तावेज है, जिसका उपयोग आप कुछ तथ्यों को साबित करने के लिए कर सकते हैं, जैसे वह चिकित्सा प्रक्रिया जिससे आप गुज़रे हैं, और वह निर्धारित लिंग जिससे आप अपनी पहचान बनाते हैं, इत्यादि।
विकल्प 2: चिकित्सा प्रमाण पत्र
यदि आपने लिंग परिवर्तन (सेक्स-चेंज) ऑपरेशन करवाया है, तो आप लिंग परिवर्तन के प्रमाण के रूप में अस्पताल से प्राप्त चिकित्सा प्रमाणपत्र (मेडिकल सर्टिफिकेट) को दिखा सकते हैं। आपके द्वारा करवाई गई किसी भी चिकित्सा प्रक्रियाओं का विवरण आपके हलफनामे / अंडरटेकिंग में भी लिखा जा सकता है ताकि आपके पास प्रमाण के रूप में एक कानूनी और नोटरीकृत दस्तावेज़ हो।
विकल्प 3: गजट / राजपत्र में नाम परिवर्तन की सूचना देना
यदि आपने अपना नाम अपने निर्धारित लिंग को प्रतिबिंबित करने के लिए बदल लिया है और आपने इसे केंद्रीय / राज्य राजपत्र में सफलतापूर्वक प्रकाशित करा लिया है, तो आप राजपत्र अधिसूचना की एक प्रति प्रमाण के रूप में अपने साथ रख सकते हैं। गजट / राजपत्र अधिसूचना अपने आप में ही एक प्रमाण माना जा सकता है और इसे नोटरीकृत करना भी जरूरी नहीं है।
कोई भी आपको अपने लिंग सत्यापन के लिये किसी भी प्रकार से मजबूर नहीं कर सकता है, जिसमें आपको अनुचित तरीके से निजी या सार्वजनिक रूप से छूआ जाए, या आपको प्रताड़ित किया जाए। यही कारण है कि ऊपर दिया गया दस्तावेज़ आपके लिंग पहचान का एक महत्वपूर्ण प्रमाण पत्र हैं। यदि आपको किसी भी प्रकार के उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है, तो आपको पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए और इस प्रक्रिया के दौरान आपको एक वकील की भी सहायता लेनी चाहिए।
यदि अपना नाम बदलना हो
अपना नाम बदलने के लिए, या अपने नाम में कुछ जोड़ने या कुछ हटाने के लिए आपको नीचे दी गई चरणों का पालन करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि यह राज्य या केन्द्रीय राजपत्र (गज़ेट) में भी प्रकाशित हो। आप इसे केन्द्रीय राजपत्र में प्रकाशित करवा सकते हैं, यदि आपको विदेश में किसी भी उच्च अध्ययन के लिए आवेदन करना है, या वीजा या पासपोर्ट का आवेदन इत्यादि करना हैं। यदि आप इसे राज्य राजपत्र में प्रकाशित करना चाहते हैं, तो यह केवल आपके राज्य के भीतर ही प्रकाशित किया जाएगा, लेकिन आप इसका उपयोग अपने पहचान पत्र प्राप्त करने, उसे अपडेट कराने, स्कूल के प्रमाण पत्रों में अपना नाम बदलवाने आदि के लिये कर सकते हैं। आपको अपना नाम बदलने के लिए, नीचे दिए गए चरणों का पालन करें:
चरण 1: एक शपथ पत्र/अंडरटेकिंग बनवा लें
आपको नीचे दिए गए दस्तावेज़ों की आवश्यकता होगी, जो इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपना नया नाम कहां प्रकाशित करवाना चाहते हैंः
- शपथ पत्र (राज्य और केंद्रीय राजपत्र, दोनों के लिए)
- अंडरटेकिंग (केंद्रीय राजपत्र के लिये)
एक शपथपत्र/अंडरटेकिंग एक ऐसा दस्तावेज है, जिसमें ऐसी सूचनाएं होती है जो आप लिखना चाहते हैं, जैसे कि आप अपना नया नाम क्या रखना चाहते हैं। उदाहरण के लिए, आप शपथपत्र/अंडरटेकिंग की आवश्यकता केवल अपना नाम बदलते समय ही नहीं, बल्कि आधार कार्ड बनवाते समय, बैंक खाता खोलते समय,या सिम कार्ड लेने आदि के लिए भी होगी।
चरण 2: नोटरी या ओथ कमिश्नर के पास जाए
निकटतम/स्थानीय नोटरी या ओथ कमिश्नर के पास जाए, जो आपके शपथ पत्र/ अंडरटेकिंग को सत्यापित करेगा। आपके दस्तावेज़ पर मुहर लग जाने के बाद यह एक वैध (जायज) कानूनी दस्तावेज़ बन जाएगा। इस सेवा के लिए आपको एक निश्चित शुल्क देना होगा।
चरण 3: एक समाचार पत्र में अपने नए नाम का विज्ञापन दें
आपको अपने राज्य के दो प्रमुख स्थानीय समाचार पत्रों के पास जाना होगा (एक आपकी क्षेत्रीय भाषा में हो और दूसरा अंग्रेजी में हो) और आप उन्हें सत्यापित शपथ पत्र दिखाने के बाद उनसे अपना नया नाम प्रकाशित करने का अनुरोध करना होगा। आपका विज्ञापन समाचार-पत्रों में प्रकाशित करने के लिए आपको उन्हें एक फीस भी देनी होगी।
चरण 4: इसे केन्द्रीय या राज्य राजपत्र में प्रकाशित करें
आपको अपना नया नाम, राज्य राजपत्र (अपने राज्य के भीतर) या केन्द्रीय राजपत्र (राष्ट्रीय स्तर) में प्रकाशित करवाना होगा।
राज्य राजपत्र
आपको अपने संबंधित राज्य की सरकारी प्रेस से संपर्क करना होगा, उनके द्वारा दिए गए संबंधित फॉर्म को भरना होगा और निर्धारित शुल्क का भुगतान करना होगा।
केन्द्रीय राजपत्र
यदि आप अपना नया नाम केन्द्रीय राजपत्र में प्रकाशित कराना चाहते हैं, तो आपको इसे “प्रकाशन विभाग, सिविल लाइंस, नई दिल्ली -54” के पते पर इन सभी दस्तावेज़ों के साथ भेजना होगा:
- आपका सत्यापित शपथ पत्र और अंडरटेकिंग
- मूल समाचार पत्र के विज्ञापन की क्लिपिंग।
- स्वयं अटेस्टेड पहचान पत्र, और 2 स्वयम् अटेस्टेड पासपोर्ट फोटो
- प्रोफॉर्मा की प्रति पर, आपके और 2 गवाहों के हस्ताक्षरों के साथ
- प्रोफॉर्मा की कम्पैक्ट डस्क (सीडी) कॉपी पर, टाइप किये गये आपके नाम (बिना गवाहों और उनके हस्ताक्षरों के) के साथ
- आपके हस्ताक्षर वाला प्रमाण पत्र जिसमें यह घोषित किया गया है कि हार्ड कॉपी और सॉफ्ट कॉपी में एक जैसी सामग्री है।
- अनुरोध पत्र, शुल्क के साथ
चरण 5: नाम बदलने का प्रमाण
- केन्द्रीय और राज्य दोनों राजपत्रों में नाम प्रकाशित करने में बहुत समय लगता है। आपको अपने संबंधित राज्य के राजपत्र वेबसाइट पर अपना नाम खोजना चाहिए। केंद्रीय राजपत्र के लिए, इन चरणों का पालन करें:
- केन्द्रीय राजपत्र पेज पर जाएं और ‘Search Gazette’ पर क्लिक करें
- ‘Weekly Gazette’ श्रेणी को साथ जोड़ें., और फिर सर्च पर प्रेस करें
- ‘Part IV’ को चुनें
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- “keyword” अनुभाग, में अपना नया नाम डालें
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- संबंधित फ़ाइल डाउनलोड करें और इस डाउनलोड की गई कॉपी को प्रमाण के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
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