एक परिवारिक सदस्य द्वारा यौन उत्पीड़न

एक बच्चे का एक परिवारिक सदस्य सिर्फ वह नहीं है जो उससे खून से संबंधित है, वह और अन्य तरह के संबंध जैसे, शादी, गोद लेना, अभिभावकीय संरक्षण, और पालन पोषण (फाेस्टर) आदि से भी हो सकता है। इसमें ऐसे व्यक्ति भी शामिल हैं जिनके साथ, माता-पिता या बच्चे का, एक ही घर में रहने के कारण घरेलू संबंध हैं। जब इस तरह के एक परिवारिक सदस्य द्वारा यौन दुराचार किया जाता है, तो उसे किसी अन्य व्यक्ति की तुलना में जो परिवार का सदस्य नहीं है, ज्यादा गंभीर दंड दिया जाता है क्योंकि बच्चे का उनके साथ अधिकार और विश्वास का संबंध हैं। एक परिवारिक सदस्य द्वारा यौन उत्पीड़न के लिए सजा, दस साल की जेल से आजीवन कारावास तक है, जब कि एक गैर-परिवारिक सदस्य के लिए यह सजा, सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक है।

यदि आप किसी परिवार के सदस्य को जानते हैं जो बाल यौन उत्पीड़न कर रहा है, या परिवार में किसी यौन उत्पीड़ित बच्चे को जानते हैं, तो आप कृपया हमारे स्पष्टीकरण को देखें कि ऐसे अपराध की रिपोर्ट आप किस तरह कर सकते हैं।

घरेलू हिंसा के खिलाफ सहायता और समर्थन प्राप्त करने में

घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करते समय, आपको अतिरिक्त सहायता और समर्थन की आवश्यकता हो सकती है, जिसे आप नीचे सूचीबद्ध किए गए अधिकारियों से संपर्क करके प्राप्त कर सकते हैं।

समर्थन और सहायता

प्रोटेक्शन ऑफिसर

आप अपने जिले के प्रोटेक्शन ऑफिसर से भी संपर्क कर सकते हैं, जो आपको मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने में, आपको आश्रय गृह उपलब्ध कराने में सहयोग प्रदान करते हैं, यदि आवश्यक हो, तो आपको उचित सेवा प्रदाताओं आदि के पास भेजते हैं।

एन.जी.ओ, सिविल सोसाइटी संगठन, सेवा प्रदाता

आप एन.जी.ओ, सिविल सोसाइटी संगठनों या सेवा प्रदाताओं से संपर्क कर सकते हैं जो आपकी सहायता कर सकते हैं और आपको सहायता प्रदान कर सकते हैं, जैसे कानूनी सहायता प्रदान करना, आपको अपने अधिकारों के बारे में जागरूक कराना, संबंधित प्रोटेक्शन ऑफिसर से संपर्क कराना, आदि। संगठन के आधार पर, वे आपको आश्रय, रोजगार के अवसर और व्यावसायिक प्रशिक्षण, परामर्श आदि भी प्रदान कर सकते हैं। आपके द्वारा संपर्क किए गए संगठन के प्रकार पर निर्भर करते हुए, ये सेवाएं नि:शुल्क होंगी।

सेवा प्रदाताओं के पास स्वयं एक घरेलू घटना की रिपोर्ट रिकॉर्ड करने और संबंधित न्यायालय या प्रोटेक्शन ऑफिसर को आगे भेजने की भी शक्ति होती है। वे मेडिकल चेकअप कराने में भी आपकी सहायता कर सकते हैं, खासकर जब आप घायल हों और संबंधित प्रोटेक्शन ऑफिसर या पुलिस स्टेशन को मेडिकल रिपोर्ट भेजते हैं।

कानूनी सहायता

वकील प्राप्त करना

आपके पास वकील के पास जाने का विकल्प है जो शिकायत दर्ज कराने में मार्गदर्शन करने से लेकर आपको अदालत तक पहुंचाने में आपकी सहायता कर सके। यदि आप वकील का खर्च वहन नहीं कर सकते, तो आप निःशुल्क कानूनी सहायता के लिए अपने जिले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से संपर्क कर सकते हैं। निःशुल्क कानूनी सहायता हेतु आवेदन करने की प्रक्रिया को समझने के लिए यहां देखें। इसका पता कैसे लगाना है इसे लेकर यदि आप अनिश्चित हैं, तो आप प्रोटेक्शन ऑफिसर, एन.जी.ओ, सेवा प्रदाताओं आदि से सहायता करने को कह सकते हैं।

LGBTQ + व्यक्तियों द्वारा शिकायत / रिपोर्ट दर्ज कराना

आप इनमें से किसी भी प्राधिकारी के पास, या फोरम में शिकायत दर्ज करा सकते हैं:

पुलिस

  • आप पुलिस स्टेशन जाएं
  • आप किसी भी पुलिस स्टेशन, या अपने निकटतम पुलिस स्टेशन पर जाकर प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकते हैं। आपका कोई मित्र या रिश्तेदार भी आपकी ओर से प्राथमिकी दर्ज करा सकता है। यदि आप एक महिला या पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं, तो आपका बयान एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही दर्ज किया जाएगा।
  • 100 पर कॉल करें
  • आप पुलिस से तत्काल मदद मांगने के लिए 100 नम्बर. पर कॉल कर सकते हैं। अपने रहने के ठिकाने बताने के बाद, एक पुलिस इकाई आपकी की सहायता के लिए आपके यहां भेजी जाएगी।

भारत का राष्ट्रीय और राज्य आयोग

ये वो फोरम है जहां आप संपर्क कर सकते हैं जब कोई अधिकारी आपकी प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने से इंकार करता है, या आपको पुलिस से किसी प्रकार की कठिनाई या प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है:

राष्ट्रीय / राज्य मानवाधिकार आयोग

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन – NHRC) एक राष्ट्रीय स्तर की सरकारी निकाय है, जो विशेष रूप से मानवाधिकारों के उल्लंघन, जैसे अवैध हिरासत, जेल में उत्पीड़न, आदि मामलों को देखता है। एक LGBTQ+ व्यक्ति के रूप में अगर पुलिस आपके साथ सहयोग नहीं करती है, और आपको मदद की आवश्यकता है, तो आप इनसे भी संपर्क कर सकते हैं।

चूंकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली में स्थित है, आप तत्काल सहायता प्राप्त करने के लिए अपने राज्य के राज्य मानवाधिकार आयोग (स्टेट ह्यूमन राइट कमीशन – SHRC) से भी संपर्क कर सकते हैं। आप अपने लिंग या यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या राज्य मानवाधिकार आयोग से शिकायत कर सकते हैं।

आप राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से संपर्क कर सकते हैं और शिकायत दर्ज करा सकते हैं, यदि आपने किसी उत्पीड़न या भेदभाव का सामना किया है।

राष्ट्रीय / राज्य महिला आयोग

राष्ट्रीय महिला आयोग (नेशनल कमीशन ऑफ वीमेन – NCW) एक राष्ट्रीय स्तर की सरकारी संस्था है, जो महिलाओं पर होने वाले हिंसा, जैसे यौन अपराध, घरेलू हिंसा, आदि से सुरक्षा देने के लिए काम करती है। राष्ट्रीय महिला आयोग आपकी मदद निम्नलिखित तरीकों से कर सकती है:

  • यह आपको और आपके उत्पीड़क को परामर्श या सुनवाई का अवसर देती है ताकि विवाद का समाधान हो, और ऐसी घटना फिर से न घटे।
  • गंभीर मामलों में यह एक जांच समिति का गठन करेगी, जो मौके पर पूछताछ करेगी, गवाहों की जांच करेगी, सबूत इकट्ठा करेगी और आपको तत्काल राहत और सुरक्षा देने के लिए एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

पर आप उनके साथ तब ही संपर्क कर सकती हैं जब आप एक महिला या एक पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं। आप उनको हेल्पलाइन नंबर 1091 पर कॉल कर के, या ncw@nic.in पर एक ईमेल भेज कर के, या ऑनलाइन शिकायत लिख कर के दर्ज कराएं।

आप तत्काल सहायता प्राप्त करने के लिए अपने राज्य के महिला आयोग से भी संपर्क कर सकते हैं।

ऑनलाइन पर की गई अपराधों की रिपोर्टिंग

ऑनलाइन अपराधों के खिलाफ आप अपने राज्य के साइबर सेल, या पुलिस से शिकायत कर सकते हैं। ऑनलाइन उत्पीड़न और हिंसा के खिलाफ रिपोर्ट करने और शिकायत करने के लिए उपलब्ध विकल्पों को विस्तार से समझने के लिए यहां पढ़ें।

एक प्राधिकारी द्वारा यौन उत्पीड़न

नीचे दी गई सूची के लोगों से, बच्चों के प्रति किये गये यौन अपराधों के लिये, कानून के तहत, काफी सख्ती से निपटा जाता है।

जब ये लोग, ‘यौन आक्रमण’ या ‘प्रच्छेदिक यौन आक्रमण’ जैसे अपराध करते हैं, तो उन्हें उसी अपराध करने के लिए बड़ी सजा दी जाएगी। तब ऐसे लोगों द्वारा किये अपराधों को क्रमशः, ‘संगीन यौन आक्रमण’ और ‘संगीण प्रच्छेदिक यौन आक्रमण’ के रूप में जाना जाता है।

इस सूची में शामिल किये गये लोग हैं:

  • कोई भी व्यक्ति जो सरकारी कर्मचारी है और जिसके पास सरकार की संस्थागत प्रणाली के अंदर अपने पद के कारण अधिकार है। उदाहरण: एक पुलिस अधिकारी अपनी ड्यूटी पर तैनात।
  • कोई भी व्यक्ति जो अपने विश्वास या अधिकार के पद के चलते बच्चे से बात-चीत करता हो। उदाहरण: एक स्कूल का शिक्षक या परिवार का एक सदस्य।
  • वे लोग जो अधिक भयानक प्रकृति के यौन आक्रमण करते हैं उन्हें ऊँचे दर्जे की सजा दी जाती हैं। उदाहरण: एक बच्चे का सामूहिक बलात्कार।
  • आवर्ती (रिपीट) दोषी का उदाहरण: वह जिसे बाल यौन उत्पीड़न के लिए पहले भी अपराधी ठहराया गया है।

इस सूची के तहत कौन आता है यह देखने के लिए कृपया अधिनियम की धारा 5 और धारा 9 को देखें।

किसी भी शैक्षणिक, धार्मिक या चिकित्सा संस्थान के शिक्षक, चिकित्सा पेशेवर, देखभाल करने वाले, कर्मचारी और प्रबंधकों को, उनके अधिकार का दुरुपयोग करने के लिये, और बाल यौन उत्पीड़न करने के लिए दंडित किया जा सकता है।

इस कानून के तहत किसी ऐसे डॉक्टर को दंडित नहीं किया जायेगा जो बच्चे के माता-पिता की अनुमति लेकर बच्चे की चिकित्सीय परीक्षण कर रहा हो। लेकिन, अगर यह सिद्ध किया जाता है कि परीक्षण करते समय डॉक्टर ने यौन उत्पीड़न किया है, तो उसे कानून के तहत दंडित किया जाएगा।

इस तरह के एक अपराध की सजा, जुर्माने के साथ साथ, 10 वर्ष के कठोर कारावास से लेकर आजीवन कठोर कारावास तक की हो सकती है।

घरेलू हिंसा के लिए तत्काल सुरक्षा

घरेलू हिंसा से तत्काल सुरक्षा प्राप्त करने के लिए, आपको प्रोटेक्शन ऑफिसर या वकील की सहायता से अदालत में एक आवेदन दर्ज करवाना चाहिए। अदालत आपको और आपके बच्चे/बच्चों को उत्पीड़क से सुरक्षा देने के लिए एक सुरक्षा आदेश पारित करेगा। अदालत द्वारा पारित आदेश अस्थायी, लेकिन एक निश्चित अवधि के लिए होगा1) जब तक कि अदालत को यह नहीं लगता कि परिस्थितियों में बदलाव के कारण इस तरह के आदेश की आवश्यकता नहीं है। यदि आपको इसकी आवश्यकता है तो आप आदेश की अवधि बढ़ाने के लिए अपने वकील की मदद ले सकती हैं। सुरक्षा आदेश आपकी सहायता करेगा 2):

 

घरेलू हिंसा के कृत्यों को रोकने में

उत्पीड़क को यह आदेश दिया जाएगा कि:

  • वह किसी भी रूप में घरेलू हिंसा करने या कराने में मदद न करे।
  • वह दोस्तों, रिश्तेदारों या कोई भी ऐसा व्यक्ति जो हिंसा करने में आपका समर्थन कर रहा है उसके साथ हिंसा न करे।

 

किसी भी गड़बड़ी या उत्पीड़न को रोकने में

उत्पीड़क को यह आदेश दिया जाएगा कि:

  • वह आपके कार्यस्थल या निवास सहित किसी भी स्थान पर आपको परेशान/उत्पीड़ित न करे।
  • वह आपके बच्चे/बच्चों को स्कूल या किसी अन्य स्थान पर जहाँ वे जाते हैं, परेशान न करे।3)
  • वह आपको व्यक्तिगत रूप से या ईमेल, टेलीफोन, ऑनलाइन, आदि के माध्यम से संपर्क न करे।

 

अपने वित्त और संपत्ति की रक्षा करने में

उत्पीड़क को यह आदेश दिया जाएगा कि:

  • वह आपकी सहमति के बिना आपकी संपत्ति, शादी के तोहफे, स्त्रीधन आदि को बेचने या देने न दे।
  • वह किसी एकल/संयुक्त बैंक खाते का संचालन करने या आपकी सहमति के बिना और न्यायालय को बताए बिना एकल/संयुक्त बैंक लॉकर का उपयोग न करे।

 

उत्पीड़क के व्यवहार को नियंत्रित करने में

उत्पीड़क को यह आदेश दिया जाएगा कि:

  • वह किसी भी फायरआर्म(आग्नेयास्त्र), हथियार या अन्य खतरनाक पदार्थों का उपयोग न करे जिनका उपयोग आपको चोट पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। उत्पीड़क को इसे सीधे न्यायालय में देने के लिए कहा जा सकता है।4)
  • वह किसी भी शराब, नशीले पदार्थों या ऐसे पदार्थों का सेवन न करे जिससे नशा हो सकता है, जिससे घरेलू हिंसा होती है। 5)

यदि उत्पीड़क आदेश देने के बाद भी आपको परेशान कर रहा है, तो आप 6) अपने वकील को अदालत को सूचित करने को कह सकती हैं। अदालत उत्पीड़क को एक वर्ष की जेल या 20,000 रुपये के जुर्माने से दंडित करेगी।

LGBTQ+ व्यक्तियों द्वारा एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराना

जब आप शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन जाते हैं, तो शिकायत का विवरण एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट-प्राथिमिकी) के रूप में लिखा जाता है।

प्राथिमिकी (एफआईआर) को दर्ज करना पुलिस अधिकारी का काम है, और यदि आप एक महिला या पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं, तो कुछ अपराधों के लिए, एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करना होगा।

एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करने से पहले, किसी वकील से सलाह लें और देखें कि किस तरह के अपराधों के लिए आप एक प्राथिमिकी दर्ज करा सकते हैं क्योंकि कुछ अपराधों के लिए प्राथिमिकी सिर्फ महिलाओं या पारमहिला (ट्रांसवुमन) द्वारा ही दर्ज कराई जा सकती हैं, पुरुष द्वारा नहीं। यदि आप प्राथिमिकी दर्ज कराते समय किसी भी कठिनाइयों का सामना करते हैं, तो यहां देखें कि आप कौन कौन से कदम उठा सकते हैं।

बाल यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट करना

अगर आपको पता चलता है कि कहीं बाल यौन दुराचार हो रहा है, तो आपको पुलिस को इसकी रिपोर्ट करनी होगी, जो आपके शिकायत को लिखित रूप में दर्ज करेगा। यदि आप जान कर भी रिपोर्ट नहीं करते हैं, तो आपको जुर्माने के साथ 6 महीने के जेल की सजा दी जा सकती है। यदि आप किसी भी घटना से अवगत हैं और आप बहुत हद तक निश्चित हैं कि कोई बच्चा किसी प्रकार के यौन उत्पीड़न का शिकार है, तो कृपया बच्चे की मदद करने के लिए किसी अधिकारी से संपर्क करने के लिए उल्लेखित तरीकों का प्रयोग करें। इसके लिये अधिकारी तक पहुंचने के कई तरीके हैं, इसलिए आप के लिये जो सबसे ज्यादा उपयुक्त तरीका हो उसका उपयोग करें।

आप किसी भी तरीके से शिकायत कर सकते हैं:

ऑनलाइन:

सरकार की एक ऑनलाइन शिकायत प्रणाली है जहां आप अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आपकी शिकायत ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ (नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स) को दायर की जाएगी।

फोन के जरिए:

आप निम्नलिखित टेलीफोन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं: -‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’-9868235077 -‘चाइल्डलाइन’ (चाइल्डलाइन बच्चों के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए एक हेल्पलाइन है) -1098

ईमेल के जरियेः

आप pocsoebox-ncpcr@gov.in पर एक ईमेल भेज सकते हैं

पुलिस:

बाल यौन उत्पीड़न की किसी भी घटना के बारे में आपके पास जो भी जानकारी है, उसके बारे में पुलिस से संपर्क करने के लिए 100 नंबर पर कॉल करें।

मोबाइल ऐप्प:

आप POCSO e-box (केवल एंड्रॉयड यूजर्स के लिये) नामक मोबाइल ऐप्प डाउनलोड कर सकते हैं और सीधे इसके माध्यम से उत्पीड़न की रिपोर्ट कर सकते हैं।

पोस्ट / पत्र / ‘मैसेंजर’ के माध्यम से:

आप अपनी शिकायत के साथ ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ को लिख सकते हैं या इस पते पर एक ‘मैसेंजर’ भेज सकते हैं:

'राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग' (नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स, एनसीपीसीआर) 
5 वाँ तल, चंद्रलोक बिल्डिंग 36, जनपथ, नई दिल्ली -110001 भारत।

जब आपने शिकायत कर दी तो बच्चे के साथ क्या होगा इसके बारे में आप चिंतित न हों। बच्चे की स्थानीय पुलिस / ‘विशेष किशोर पुलिस’ (स्पेशल जुवेनाइल पुलिस) के द्वारा देखभाल की जाएगी जो ‘बाल कल्याण समिति (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) को सूचित करेगी, जो शिकायत मिलने के बाद, बच्चे और बच्चे के परिवार को कानूनी प्रक्रिया में सहायता करने के लिए एक ‘सहायक व्यक्ति’ (सपोर्ट परसन) की नियुक्ति करेगी।

LGBTQ+ व्यक्तियों द्वारा एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराते वक्त होने वाली कठिनाइयां

यदि कोई पुलिस अधिकारी आपके यौन अभिविन्यास या लिंग पहचान के कारण आपकी प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करने से इनकार करता है, या आपको परेशान करता है, तो आप नीचे दिए गए कदम उठा सकते हैं:

  • एक लिखित शिकायत पुलिस अधीक्षक (एसपी) को करें। पुलिस अधीक्षक खुद जांच कर सकते हैं, या वे अपने अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को कार्रवाई करने का आदेश दे सकते हैं।
  • पुलिस स्टेशन जाते समय किसी वकील की मदद लें। यह बेहद उपयोगी है क्योंकि वकील आपकी ओर से वकालत करने में सक्षम होते हैं, और उनके साथ रहने से पुलिस अधिकारियों द्वारा आपके साथ होने वाले उत्पीड़न की संभावना कम रहेगी।
  • एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करने के लिए, पास के किसी अन्य पुलिस स्टेशन पर जाएं। इसे जीरो प्राथिमिकी (एफआईआर) के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी भी पुलिस स्टेशन में प्राथिमिकी दर्ज की जा सकती है, और दी गई जानकारियों को पुलिस अधिकारियों द्वारा अनिवार्य रूप से रिकॉर्ड करना होता है, और फिर इसे उस पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करना होता है, जिसके क्षेत्र / क्षेत्राधिकार में यह अपराध हुआ है।
  • किसी और को अपनी ओर से प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने का अनुरोध करें। आप उस व्यक्ति को, आपके साथ हुई हिंसा / उत्पीड़न का विवरण दे सकते हैं।
  • ’निजी शिकायत’ दर्ज कराने के लिए सीधे जिला / न्यायिक मजिस्ट्रेट से संपर्क करें, लेकिन पुलिस के पास जाने के बाद ही।
  • राष्ट्रीय / राज्य मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय / राज्य महिला आयोग जैसे अन्य शिकायती फोरम की मदद लें, जो न केवल पुलिस से संपर्क करने में आपकी सहायता करेंगे, बल्कि हिंसा / उत्पीड़न की घटनाओं को भी देखेंगे।

बच्चे की गवाही का विशेषज्ञों द्वारा रिकॉर्ड करना

सभी साक्षात्कार और जांच के दौरान, उन बच्चों और पक्षों की मदद करने के लिए जो विभिन्न भाषा बोलते हैं, या जिन्हें संचार में कठिनाई होती है, दुभाषिये और विशेषज्ञ मौजूद रहते हैं। ये लोग उन गवाहों की मदद करने के लिए रहते हैं जिनकी भाषा, उस विशिष्ट राज्य के न्यायालय की भाषा से अलग है। प्रत्येक जिले की ‘बाल संरक्षण इकाइयां’ (चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट्स) को, पीड़ितों और उससे संबंधित पक्षों को संचार मुद्दों पर मदद करने के लिए दुभाषियों और अनुवादकों को उपलब्ध करना होगा। यदि दुभाषिया उपलब्ध नहीं है, तो किसी गैर-पेशेवर को दुभाषिये के रूप में उपयोग किया जा सकता है लेकिन पुलिस को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके हितों का टकराव (कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट) ना हो। उदाहरण के लिए, एक पिता अपने बच्चे के लिए दुभाषिये का रोल अदा नहीं कर सकता।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • दुभाषिये को, परिवार के साथ बहुत अधिक घुलमिल जाने की आवश्यकता नहीं है और न ही उसे उनकी तरफ से बात करनी चाहिए। संप्रेषण की कठिनाइयों में मदद करना ही उसका एकमात्र कार्य होना चाहिए।
  • दुभाषिये का परिवार या उस बच्चे के साथ कोई पुराना संबंध नहीं होना चाहिए।
  • पीड़ित और अन्य पक्षों द्वारा दी गई सभी जानकारी बेहद गोपनीय है और किसी भी तरीके से इसका खुलासा नहीं किया जाना चाहिए।

घरेलू हिंसा के लिए परामर्श

परामर्श किसी सलाहकार से पेशेवर मार्गदर्शन के प्रावधान की ओर इशारा करता है, जो आपके द्वारा झेली गई घरेलू हिंसा के मामले को निपटाने में, इस बात की गारंटी दिलाने में कि हिंसा दोहराई नहीं जाएगी, आपकी और आपके उत्पीड़क की मदद करेगा, और घरेलू हिंसा की समस्या का सर्वोत्तम संभव समाधान लेकर आएगा। अदालत या तो उत्पीड़क को या आपको, या तो अकेले या एक साथ, किसी सेवा प्रदाता या कोर्ट द्वारा नियुक्त काउंसलर(परामर्शदाता) से परामर्श करने का आदेश पारित कर सकती है।

 

काउंसलर(परामर्शदाता) नहीं हो सकता हैः

  • कोई ऐसा व्यक्ति जो इस केस से जुड़ा हो, या कोई ऐसा व्यक्ति जो आपका या आपके उत्पीड़क का संबंधी हो जब तक कि आप और उत्पीड़क दोनों ही इसके लिए अपनी सहमति न दे दें1)
  • कोई ऐसा वकील जो इस मामले में उत्पीड़क की ओर से पेश हो चुका है।

 

यदि आप काउंसलर(परामर्शदाता) से किसी कारणवश संतुष्ट नहीं हैं, तो आप अपने वकील से इस बारे में कोर्ट को बताने के लिए कह सकते हैं जो इस मामले को देखेगा।

 

काउंसलर(परामर्शदाता) की भूमिका

काउंसलर(परामर्शदाता) की भूमिका है कि वहः

  • किसी ऐसी जगह पर आपके साथ अकेले या उत्पीड़क के साथ एक मीटिंग तय करे जो आपके और आपके उत्पीड़क के लिए सुविधाजनक हो2)
  • काउंसलर(परामर्शदाता) को परामर्श देने की कार्यवाहियां इस बात को सुनिश्चित बनाने के उद्देश्य से पूरी करनी पड़ेंगी कि घरेलू हिंसा दोहराई न जाए। काउंसलर(परामर्शदाता) उत्पीड़क से यह कहते हुए एक वचन3) ले सकता है कि वहः
  • आगे कोई घरेलू हिंसा नहीं करेगा।
  • पत्र, टेलीफोन, इलेक्ट्रॉनिक मेल के माध्यम से या जज द्वारा अनुमत तरीके से काउंसलर(परामर्शदाता) की मौजूदगी के अलावा किसी और माध्यम से मिलने या बातचीत करने की कोशिश नहीं करेगा।
  • यदि आप फैसला करते हैं कि आप मामले को निपटाना और केस को खत्म करना चाहते हैं, तो आप काउंसलर(परामर्शदाता) से कह सकते हैं, जो इसमें सम्मिलित हर एक के लिए सर्वोत्तम संभव समाधान पेश करने की कोशिश करेगा।

 

परामर्श देने की प्रक्रिया में, उत्पीड़क को इस बात की अनुमति नहीं है कि वह आपको घरेलू हिंसा का शिकार बनाने के लिए किसी कारण का औचित्य पेश करे। परामर्श की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, काउंसलर(परामर्शदाता) को जितना जल्दी हो सके कोर्ट में परामर्श की बैठक (बैठकों) से संबंधित रिपोर्ट जमा करनी होती है ताकि कोर्ट आगे की कार्रवाई कर सके और, 2 महीने के भीतर, केस की सुनवाई के लिए तारीख तय कर सके। यदि निपटारा नहीं हो पाया है, तो काउंसलर(परामर्शदाता) को अदालत के समक्ष इसके कारण बताने होंगे।