ब्लैकमेल करना

अगर किसी ने आपके बच्चे पर यौन उत्पीड़न किया है या आपके बच्चे के साथ किए गए यौन कर्म को दर्ज कर लिया है, तो आपको इस व्यक्ति के खिलाफ शिकायत करनी चाहिए। माता-पिता के रूप में, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ब्लैकमेलिंग के कारण आपको, आपके बच्चे को और आपके परिवार को मानसिक आघात से न गुजरना पड़े, और ऐसे मामलों को आप पुलिस को, और अन्य अधिकारियों को रिपोर्ट कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि सीमा के ट्यूशन शिक्षक ने उसका यौन उत्पीड़न किया है, और उसने इसका एक वीडियो रिकॉर्ड कर लिया है और फिर वह उसके माता-पिता से पैसे और कई अन्य तरह की सहायता के लिए ब्लैकमेल कर रहा है, तो ऐसी परिस्थितियों में, उसके माता-पिता को तत्काल पुलिस को, और अन्य अधिकारियों से शिकायत करनी चाहिए जो उस पर कार्रवाई करेंगे।

यदि कोइ व्यक्ति, किसी अन्य व्यक्ति को उसकी प्रतिष्ठा, संपत्ति या शारीरिक क्षति पहुँचाने की धमकी देता है, या किसी ऐसे व्यक्ति को क्षति पहुँचाने की धमकी देता जो उसका करीबी है तो उस व्यक्ति को, ऐसे धमकी देने की सजा, दो साल का जेल, और / या जुर्माना होगा।

अगर कोई आपको ब्लैकमेल कर रहा है तो कृपया पुलिस को 100 नंबर पर कॉल करें। आप बाल यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट भी वहाँ कर सकते हैं।

घरेलू हिंसा कहां हो सकती है?

यह जरूरी नहीं है कि घरेलू हिंसा हमेशा आपके घर तक ही सीमित हो।1) घरेलू हिंसा कहीं भी हो सकती है, जैसे आपके रोजगार या शिक्षा का स्थान, आपके बच्चे का स्कूल, बाज़ार, आदि2)

आप इसकी परवाह किए बिना कि घरेलू हिंसा कहां हुई है, शिकायत दर्ज करा सकती हैं और एक वकील की मदद से, अपने उत्पीड़क के खिलाफ मामला दर्ज करवाने के लिए अदालत जा सकती हैं।

LGBTQ+ व्यक्तियों का ऑनलाइन पर उत्पीड़न और हिंसा

LGBTQ+ व्यक्तियों के साथ दुर्व्यवहार इंटरनेट के विभिन्न प्लेटफॉर्म, जैसे सोशल मीडिया, चैट फोरम आदि पर होता रहता है। जब आपको ऑनलाइन दुर्व्यवहार सहना पड़ा है तो सबसे पहले आपको उस प्लैटफॉर्म की नीतियों के बारे में पता लगाना चाहिए जिस पर दुर्व्यवहार हुआ है, और यह देखना चाहिए कि प्लैटफॉर्म ने आपको क्या कदम उठाने की सलाह दी है, जिससे यह सब रोका जा सकता है।

आप अपने लिंग या अपने यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना, सोशल मीडिया फोरम या प्लेटफार्म पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। आप किसी के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं, लेकिन हर प्लेटफार्म की नीतियां अलग अलग होती हैं, इसलिए आपको उस प्लेटफार्म की शिकायत संबंधी नीतियों को पढ़ना चाहिए, जिस पर आपके साथ दुर्व्यवहार हुआ है।

आपको उन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, जब कोई आपकी अनुमति के बिना आपके यौन अभिविन्यास या लिंग पहचान को उजागर करने की कोशिश करे। आप उन पर तत्काल कार्रवाई उन्हें ब्लॉक या रिपोर्ट करके कर सकते हैं। यदि आपको अपने फोन पर कॉल या मैसेज के ज़रिए परेशान किया जा रहा है, तो आप अपने फोन पर ही उन्हें ब्लॉक कर सकते हैं।

यदि प्लेटफॉर्म के प्रशासनिक अधिकारी की प्रतिक्रिया संवेदनशील नहीं है, या आप जिस तरह की उत्पीड़न का सामना सामना कर रहे है, वह गंभीर है और उसे बार-बार दोहराया जा रहा है, तो आप स्थानीय पुलिस स्टेशन या साइबर सेल में शिकायत दर्ज करा सकते हैं, यदि आप एक महिला / पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं। यदि आप एक पुरुष / पारपुरुष (ट्रांसमैन) हैं, तो आप एक प्राथिमिकी (एफआईआर) उन कानूनों के तहत दर्ज करा कर जो आपको चोट पहुंचाने या घायल करने वाले को दंडित कर सकता है।

यदि निम्नलिखित घटनाएं आपके साथ होती हैं तो इसके खिलाफ आप शिकायत दर्ज कर सकते हैं:

आपके बैंक खाते का अधिग्रहण (टेकओवर)

  • अगर आपके बैंक का खाता आपकी अनुमति के बिना अधिग्रहित कर लिया जाता है, या आपके बैंक खाते तक कोई अपनी अनधिकृत पहुंच बना लेता है।
  • अगर कोई व्यक्ति, आपके पासवर्ड या आपके डिजिटल हस्ताक्षर आदि का उपयोग करके आपकी ऑनलाइन पहचान चुरा लेता है।
  • अगर कोई व्यक्ति आपका जाली रूप धारण कर, या आपके या किसूी और के होने का नाटक कर आपको ऑनलाइन परेशान करता है।

आपकी व्यक्तिगतता का उल्लंघन

  • अगर कोई व्यक्ति, आप की व्यक्तिगत तस्वीरों / वीडियो का उपयोग, या उन्हें ऑनलाइन साझा आपकी अनुमति के बिना करता है।
  • अगर कोई व्यक्ति आपको ऑनलाइन पर पीछा (स्टॉक) करता है या आपकी गतिविधियों पर नज़र रखता है।
  • अगर कोई आपकी तस्वीरों को ऑनलाइन पर फोटोशॉप कर इस्तेमाल करता है।

ब्लैकमेल करना

  • अगर कोई आपको ऑनलाइन पर, पैसे के लिए, या आपसे कुछ काम कराने के लिए ब्लैकमेल करता है।

गाली-गलौज की धमकी और भाषा

  • अगर कोई आपको ऑनलाइन पर अश्लील सामग्री भेजता है, या आपका यौन उत्पीड़न करता है।
  • अगर कोई आपको अपमानित करता है, या आपके खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करता है।
  • अगर आपको धमकियां किसी अनजान व्यक्ति से मिलती हैं।
  • अगर कोई व्यक्ति ऑनलाइन पर आपको नुकसान पहुंचाने या जान से मारने की धमकी देता है।

रैगिंग के लिए सज़ा

यदि कोई छात्र किसी अन्य छात्र की रैगिंग करते पकड़ा जाता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है। सज़ा का यह रूप हो सकता है-

छात्र के खिलाफ संस्‍थागत कार्रवाई- उदाहरण के लिए, कॉलेज से निलंबन, छात्रावास से निलंबन, आदि।

छात्र के खिलाफ पुलिस में शिकायत- यदि छात्र के खिलाफ शिकायत या एफआईआर दर्ज की जाती है, तो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 के तहत मामला बनाया जा सकता है, जिससे जेल अवधि या जुर्माना जैसे गंभीर आरोप लगेंगे।

संस्‍थागत दंड

यदि आप रैगिंग करते हुए पकड़े जाते हैं, तो ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी आपको इस प्रकार से दंडित कर सकती है-

  • कक्षाओं में उपस्थिति‍ से और शैक्षणिक विशेषाधिकारों से निलंबन।
  • छात्रवृत्ति / फेलोशिप और अन्य लाभों को वापस लेना।
  • आपको किसी भी परीक्षण / परीक्षा में शामिल होने से वंचित करना।
  • परिणाम रोकना।
  • आपको किसी भी क्षेत्रीय, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय बैठक, टूर्नामेंट, युवा उत्सव, आदि में कॉलेज का प्रतिनिधित्व करने से वंचित करना।
  • छात्रावास से निलंबन / निष्कासन।
  • आपका कॉलेज-प्रवेश रद्द।
  • एक से चार सेमेस्टर तक की अवधि के लिए कॉलेज से निष्‍कासन।
  • कॉलेज से ऐसी निकासी कि उसके परिणामस्वरूप किसी अन्य कॉलेज में एक निश्चित अवधि के लिए प्रवेश से वंचित करना।

पुलिस से शिकायत

रैगिंग के अधिक गंभीर मामलों में, यदि प्राथमिकी या पुलिस शिकायत दर्ज की जाती है, तो छात्र को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 के तहत दंडित किया जा सकता है। IPC के तहत दंडनीय कुछ गतिविधियां-

शारीरिक शोषण

रैगिंग में एक छात्र को शारीरिक शोषण और उसके साथ हिंसक

व्‍यवहार करना शामिल हो सकता है। ऐसे मामले में, जो छात्र किसी अन्य छात्र की रैगिंग कर रहा था, उसे निम्नलिखित तरीके से दंडित किया जा सकता है –

  • यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी को चोट पहुँचाता है, या ऐसे तरीके से कार्य करता है जिससे किसी को चोट लगने की संभावना है, तो उसे 1 वर्ष तक की जेल सजा और / या एक हज़ार रुपये के जुर्माने तक की सजा हो सकती है। उदाहरण के लिए, किसी छात्र के साथ मारपीट को इस कानून के तहत अपराध माना जा सकता है। यदि यह खतरनाक हथियारों (उदाहरण के लिए, बंदूक) का प्रयोग किया जाता है, तो सजा, जुर्माने के साथ या बिना जुर्माने के 3 साल तक की जेल हो सकती है।
  • अगर कोई जानबूझकर किसी को कष्‍ट या चोट पहुंचाता है, या ऐसे तरीके से काम करता है जिससे किसी को चोट लगने की संभावना है, तो उसे 7 साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।  मसलन, यदि किसी छात्र की पिटाई होती है और उसके हाथ-पांव टूटते हैं, तो उसे इस कानून के तहत अपराध माना जा सकता है। यदि यह खतरनाक हथियारों (उदाहरण के लिए, एक बंदूक) का प्रयोग करके किया जाता है, तो सजा या तो आजीवन कारावास, या 10 साल तक की जेल और जुर्माना है।
  • यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी व्यक्ति पर उसकी सहमति के बिना किसी भी प्रकार के बल का प्रयोग करता है, तो उस व्यक्ति पर अपराध करने / चोट, भय या चिढ़ पैदा करने का आरोप लग सकता है और उसे 3 महीने तक की जेल की सजा हो सकती है और / या 500 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र किसी अन्य छात्र को सड़क पर धकेलता है और उसे सड़क पर चलने वाले वाहनों की चपेट में लाने से डराता है।

यौन शोषण

रैगिंग के नाम पर अगर कोई किसी का यौन उत्पीड़न करता है, तो यह एक अपराध है। उदाहरण के लिए, यदि कोई किस महिला को लैंगिक रूप से और ज़बरदस्ती छूता है, या उसे परेशान करता है, या चुपके चुपके उसका पीछा करता है, तो यह एक अपराध है। यहाँ और पढ़ें

आने-जाने पर रोक लगाना,अड़ंगा डालना

रैगिंग में एक छात्र के आने-जानेे को प्रतिबंधित करना या उसे बंद कर देना शामिल हो सकता है। ऐसे मामले में, जो छात्र किसी अन्य छात्र की रैगिंग कर रहा था, उस पर निम्नलिखित अपराधों का आरोप लगाया जा सकता है-

  • यदि कोई अपनी मनमर्जी़ से किसी व्यक्ति को बाधित करता है ताकि वह एक निश्चित दिशा में जाने में सक्षम नहीं हो तो, इसे एक अपराध माना जाता है।  उदाहरण के लिए, किसी छात्र को कॉलेज की कैंटीन में न आने देना। इसके लिए सजा 1 महीने तक की जेल और / या 500रुपये  का जुर्माना है।
  • यदि कोई जबरन किसी व्यक्ति को रोक देता है ताकि वह एक निश्चित सीमा से आगे नहीं बढ़ पाए (यानी उसे बंद कर दे), यह एक अपराध है। मसलन, यदि कोई छात्र किसी अन्य छात्र को पेड़ से बांध दे, तो इसे इस कानून के तहत एक अपराध माना जा सकता है। इसकी सज़ा, 1 साल तक की जेल और / या 1000 रुपये तक जुर्माना, हो सकती है।

ब्‍लैकमेल

रैगिंग में किसी छात्र को ब्लैकमेल करना और डराना-धमकाना भी शामिल हो सकता है। ऐसे मामले में, जो छात्र किसी अन्य छात्र की रैगिंग कर रहा था, उस पर निम्नलिखित अपराधों का आरोप लगाया जा सकता है-

  • अगर कोई जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति को चोट लगाने से डराता है, ताकि वह व्यक्ति उसे, या किसी दूसरे को, कुछ मूल्यवान चीज़ दे दे, तो यह एक अपराध है। मसलन, राम श्याम को धमकी देता है कि श्याम अगर उसे पैसे नहीं देगा, तो राम उसके बारे में अपमानजनक सामग्री प्रकाशित करेगा, और इसलिए श्याम उसे पैसे देता है। यहाँ, राम को इस अपराध के तहत दंडित किया जाएगा। इसके लिए सजा 3 साल तक की जेल और / या जुर्माना है।
  • यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को धमकी देता है कि वह उसे या किसी अन्य व्यक्ति (जैसे, परिवार के सदस्य या दोस्त) को, उसकी प्रतिष्ठा या संपत्ति को नुकसान पहुंचाएगा, और इस तरह उस व्यक्ति को डराता है या उसे ऐसा करने के लिए बाध्‍य करता है जो करना उसके लिए बिल्‍कुल भी ज़रूरी नहीं है या फिर उसे ऐसा कुछ करने से रोकता है जिसे करने के लिए वह जवाबदेह है, तो यह एक अपराध है। उदाहरण के लिए, यदि राम ने श्याम को धमकी दी कि जब तक श्याम उसे पैसे नहीं देगा, राम उसके घर को जला देगा, और इस कारण श्याम ने उसे पैसे दिये, तो राम ने यह अपराध किया। इसके लिए सज़ा कम से कम 2 साल तक की जेल और / या जुर्माना है। अन्य मामलों में अधिक गंभीर सज़ा हो सकती है।

कृपया ध्यान दें कि इनमें से किसी भी कार्य को करने के प्रयास या धमकी को भी रैगिंग माना जाता है। अगर आपको या आपके किसी परिचित की रैगिंग हो रही है, तो आप शिकायत कर सकते हैं। इसके बारे में यहाँ और जानें

अधिक जानकारी के लिए इस सरकारी संसाधन को पढ़ें

बाल अश्लील चित्रण (चाइल्ड पोर्नोग्राफी)

जब कोई व्यक्ति किसी बच्चे का उपयोग किसी भी प्रकार के मीडिया (प्रिंट, वीडियो, इमेज इत्यादि) में करता है और उस सामग्री का उपयोग किसी व्यक्ति के यौन आनन्द के लिए किया जा सकता है; तो उस मीडिया बनाने वाले व्यक्ति को बाल अश्लील चित्रण के लिए उत्तरदायी माना जाएगा। यदि ऐसी मीडिया का उपयोग सार्वजनिक और व्यक्तिगत, दोनों के लिए किया जा सकता है, फिर भी यह एक अपराध है। अश्लील चित्रण में बच्चों के दुरुपयोग के उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  • एक बच्चे के अंगों का प्रतिरूपण।
  • असली या नकली यौन कर्म के लिए बच्चे का दुरुपयोग करना। इस कर्म के लिये प्रवेशन क्रिया की तरह का अपराध होना आवश्यक नहीं है।
  • बच्चे का अभद्र या घृणित प्रतिरूपण।

अश्लील चित्रण के लिये यह जरूरी नहीं है कि बच्चों को केवल उपर्युक्त गतिविधियों में लिए उपयोग किया गया हो। यदि कोई व्यक्ति कि्सी अन्य तरीके से अश्लीलता दिखाने में बच्चे का उपयोग करता है तो वह भी बाल अश्लील चित्रण के अंतर्गत आता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति बाल अश्लील मीडिया के संपादन, बिक्री या वितरण या इससे संबंधित कोई अन्य क्रियाकलाप में शामिल है, तो यह भी बाल अश्लील चित्रण ही होगा।

बाल अश्लील चित्रण के लिए दंड, उसमें बच्चे की भागीदारी की सीमा और अपराध की प्रकृति के हिसाब से भिन्न भिन्न होगा। बाल अश्लील चित्रण के तहत विभिन्न अपराधों के लिए सजा, जुर्माने के साथ साथ, 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकता है।

LGBTQ + व्यक्तियों का बलात्कार

जब कोई पुरुष आपकी सहमति के बिना आपके साथ सेक्स करता है, तो इसे कानूनन बलात्कार माना जाता है।

वर्तमान कानून के तहत, केवल महिलाएं या पारमहिलाएं (ट्रांसवुमेन) ही बलात्कार या यौन हिंसा का शिकार हो सकती हैं, और सिर्फ पुरुष के खिलाफ ही इस शिकायत को दर्ज किया जा सकता है।

यदि आप एक ऐसे पुरुष / पारपुरुष (ट्रांसमैन) हैं, जिसे यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया हो तो आप, आप पर हुए इस तरह के बलात्कार या अन्य यौन हिंसा के प्रति, शिकायत दर्ज नहीं करा पाएंगे। इसके बजाए आप एक विकल्प के तौर पर सिर्फ यह शिकायत दर्ज करा सकते हैं कि आपको चोट पहुंचाया गया है, या आपको घायल किया गया है।

बलात्कार और सामूहिक बलात्कार

यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराना चाहते हैं, जिसने आपका बलात्कार किया है, तो आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 375/376 के अंतर्गत पुलिस को प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी होगी।

यदि बलात्कार क्रिया, लोगो के एक समूह द्वारा किया गया है, तो उनमें से प्रत्येक को सामूहिक बलात्कार के अपराध करने के लिए दंडित किया जाएगा। आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 376D के अंतर्गत प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी होगी।

किसी अधिकारी द्वारा बलात्कार करना

अगर किसी पुरुष का, अपनी आधिकारिक शक्ति या पद के कारण किसी महिला पर नियंत्रण है, और वह इस नियंत्रण का दुरूपयोग महिला के साथ यौन संबंध बनाने के लिए करता है, तो इसे कानून के तहत बलात्कार माना जाता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई पुरुष पुलिस अधिकारी, आपको अपनी हिरासत में रखते हुए आपका बलात्कार करता है, तो आप उस अधिकारी के खिलाफ शिकायत कर सकती हैं और प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकती हैं।

ऐसे व्यक्तियों में लोक सेवक, जेल अधिकारीगण या अस्पताल के प्रबंधक आदि लोग शामिल हैं। आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 376 के अंतर्गत प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी होगी।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप उस व्यक्ति बारे में कुछ नहीं जानती हैं, जिसने आपका बलात्कार किया है। आपको तब भी शिकायत दर्ज करानी चाहिए ताकि पुलिस जांच कर उस अपराधी को पकड़ सके, और आगे उसके ऐसे कारनामों पर रोक लग सके। आप इस तरह की शिकायत, परिवार के किसी सदस्य, शिक्षक आदि के खिलाफ भी दर्ज करा सकती हैं, जिसने भी आपके साथ बलात्कार किया हो। आप किसी और को भी अपनी ओर से प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने का अनुरोध कर सकती हैं। यदि पुलिस आपकी प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज नहीं करती है, तो आप जो वैकल्पिक कदम उठा सकती हैं उसे समझने के लिए इसे पढ़ें

किसी बच्चे को यौन उत्पीड़ित करने में, किसी व्यक्ति की मदद करना

जब आप किसी बच्चे को यौन उत्पीड़न में, किसी व्यक्ति की मदद करते हैं, उसे छुपाते हैं या जानकर प्रोत्साहित करते हैं, तो आप बाल यौन उत्पीड़न के दुष्प्रेरक बन जाते हैं।

उदाहरण के लिए, अगर कोई आपको बताता है कि वे अपने पड़ोसी के बच्चे के साथ एक अश्लील वीडियो शूट करना चाहते हैं और आप यह जानकर भी उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। और वे एक कैमरा खरीदते हैं और बच्चे को उस तरह से फिल्माते हैं, तो आप दोनों को इस अपराध के लिये दंडित किया जा सकता है।

किसी बच्चे को यौन उत्पीड़न में मदद करने की सजा और जुर्माना भी वही होगा जो एक बाल यौन उत्पीड़न के वास्तविक अपराधी के लिये होगा।

LGBTQ + व्यक्तियों के प्रति यौन हिंसा

यदि आप किसी यौन हिंसा का सामना करते हैं या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं, जिसके साथ यौन हिंसा हुई है, तो आपको निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

तत्काल सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन पर कॉल करें।

नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत करें।

यौन हिंसा

यदि आपने किसी भी प्रकार की यौन हिंसा का सामना किया है, जिसमें बलात्कार, अनुचित स्पर्श, पीछा करना आदि शामिल हैं, तो आप पुलिस के पास प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकती हैं। आप इस तरह की शिकायत किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कर सकती हैं, जिसमें आपके परिवार का कोई सदस्य, शिक्षक आदि भी हो सकता है।

  • यदि आप महिला / पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं

आपको यौन हिंसा के खिलाफ, भारत में कानूनों के तहत शिकायत

दर्ज करने का अधिकार है, लेकिन सिर्फ पुरुष के विरुद्ध। यदि आप एक पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं और पुलिस ने यह कहते हुए प्राथिमिकी दर्ज करने से इंकार कर दिया है कि आप कानून के तहत एक ’महिला’ नहीं हैं, तो आप क्या कदम उठा सकती हैं उसके लिये, यहां देखें।

  • यदि आप एक पुरुष / पारपुरुष (ट्रांसमैन) हैं

आप यौन हिंसा के खिलाफ एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा नहीं सकते हैं, क्यों कि भारत में कानून के तहत एक पुरुष / पारपुरुष (ट्रांसमैन) यौन हिंसा का शिकार हो नहीं सकता है। आपके पास एकमात्र विकल्प है उन भारतीय कानूनों की मदद लेना जो आपको चोट पहुंचाने या घायल करने वालों को सजा दे सकते हैं।

कार्यस्थल पर यौन हिंसा

यदि आपके कार्यालय में यौन उत्पीड़न की नीतियां लिंग-तटस्थ हैं, तो आप अपने लिंग की परवाह किए बिना शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यदि आप नियोक्ता की कार्रवाई (उदाहरण के लिए उत्पीड़क की बर्खास्तगी) के माध्यम से यौन उत्पीड़न को रोकना चाहते हैं, तो आप अपने कार्यालय के आंतरिक शिकायत समिति (इंटरनल कमप्लेन्ट्स कमिटी, आईसीसी) के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं, जो शिकायत तंत्र सभी कार्यालयों में उपलब्ध होता है। आपके पास पुलिस के पास जाने का भी विकल्प है।

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का कानून, केवल उन्हीं महिलाओं को पीड़िता मानता है जो आंतरिक शिकायत समिति (इंटरनल कमप्लेन्ट्स कमिटी, आईसीसी) को शिकायत करती हैं, या पुलिस से संपर्क कर एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराती हैं। यदि आपके संगठन की यह नीति है, तो आपके पास निम्नलिखित विकल्प हैं:

  • एक पुरूष या एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के पुरुष के रूप में, आप किसी गैर सरकारी संगठन या किसी वकील की मदद ले सकते हैं, जो एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा कर कानून के तहत उन लोगों को दंडित करा सकते हैं, जिन्होंने आपको चोटिल या घायल किया है।
  • एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) की महिला के रूप में, आपको यौन हिंसा के कानूनों के तहत प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने का अधिकार है।

ऑनलाइन यौन हिंसा

यदि आप किसी यौन उत्पीड़न का सामना ऑनलाइन कर रहे हैं, तो ज्यादा समझने के लिए यहां क्लिक करें

एक बच्चे का दूसरे बच्चे द्वारा ‘यौन उत्पीड़न’

यदि सात वर्ष से ज्यादा का कोई बच्चा, जो किसी दूसरे बच्चे के साथ यौन प्रताड़ना करता है या किसी अन्य तरीके से उसपर यौन आक्रमण करता है, तो इसे यौन उत्पीड़न माना जायेगा और उस बच्चे को ‘किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015’ जुवेनाइल जस्टिस (केयर एण्ड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन ऐक्ट, 2015) के तहत दंडित किया जा सकता है।

कानून यह मानता है कि 7 वर्ष से कम आयु के किसी भी बच्चे के पास अपराध करने की मानसिक क्षमता नहीं बन पाती है क्योंकि कोई बच्चा अपने किए गए कार्यों के परिणामों को समझ नहीं सकता है।

कौन (LGBTQ+) व्यक्ति शिकायत दर्ज करा सकता है

यदि आप उत्पीड़न और हिंसा का सामना करते हैं, तो आप अपनी लिंग पहचान के आधार पर कुछ कानूनों का इस्तेमाल कर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। चूंकि कानून के तहत लिंग की केवल तीन

मान्यता प्राप्त श्रेणियां हैं, ‘पुरुष’, ‘महिला’ और ‘तीसरा लिंग’ (ट्रांसजेंडर व्यक्ति)। और आप पर कौन सा कानून लागू होगा वह भी इस तथ्य पर निर्भर करता है कि आप लिंग की किस श्रेणी में आते हैं।

यदि आप पहले से ही जानते हो कि कौन सा कानून आपकी मदद कर सकता है तो यह प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराते समय काफी मददगार साबित होगा। आप वकीलों और गैर सरकारी संगठनों की मदद भी ले सकते हैं ताकि आपको पुलिस अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न का सामना न करना पड़े।

इस प्रश्न का उत्तर, कि आप किस कानून के तहत शिकायत दर्ज करा सकते हैं, इस बात पर निर्भर करेगा कि आपको किस प्रकार की हिंसा का सामना करना पड़ा है:

यौन हिंसा

यौन हिंसा कई प्रकार की हो सकते हैं, जैसे बलात्कार या अन्य यौन अपराध जैसे अनुचित स्पर्श, पीछा करना आदि। कानून के तहत पुलिस में शिकायत आप दर्ज तब ही करा सकती हैं यदि आप एक महिला हैं। यद्यपि एक पारमहिला (ट्रांसवुमेन) को, उसकी लिंग सकरात्मक शल्य चिकित्स हुई हो या नहीं, एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने का अधिकार है, लेकिन यदि आपको प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करते समय किसी भी परेशानी का सामना करना पड़ता है, तो आपको पुलिस द्वारा उत्पीड़न या हिंसा को रोकने के लिए किसी वकील से मदद लेना बेहतर होगा। कानून के तहत, पुरुष या पारपुरुष (ट्रांसमैन) यौन हिंसा के शिकार नहीं हो

सकते हैं, इसलिए आपके लिए विकल्प यह है कि आप नीचे बताए गए शारीरिक हिंसाओं के कानूनों के तहत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराएं।

शारीरिक हिंसा

यदि आपको किसी ने घायल कर दिया है, आपको चोट पहुंचायी है या किसी ने आपको बंदी बना लिया है, या कोई आपको अपनी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को करने में शारीरिक रूप से रोकता है, तो आप अपने उत्पीड़क के खिलाफ एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकते हैं, भले ही आप एक पुरुष हों, एक महिला हों, या एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के व्यक्ति हों।

मनोवैज्ञानिक हिंसा

यदि कोई आपको चोट पहुंचाने की धमकी देता है, या आपसे फायदा उठाने या पैसे के लिए ब्लैकमेल करता है, तो आप अपने उत्पीड़क के खिलाफ एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकते हैं, भले ही आप एक पुरुष हों, एक महिला हों, या एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के व्यक्ति हों।

ऑनलाइन पर हिंसा

भले ही आप एक पुरुष हों, एक महिला हों, या एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के व्यक्ति हों, आप ऑनलाइन से की गई किसी भी प्रकार के उत्पीड़न और हिंसा के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं, जो यौन, मनोवैज्ञानिक, या कंप्यूटर संबंधित अपराध, जैसे हैकिंग, प्रतिरूपण आदि हो सकते हैं।