किराए/लीज़ समझौते का पंजीकरण
यदि आपका लीज एग्रीमेंट एक साल या उससे अधिक के लिए है, तो जिस शहर में आप रह रहे हैं, उसके सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय में इसे पंजीकृत करना अनिवार्य है। यह लीज एग्रीमेंट होने के 4 महीने के अंदर इसे पंजीकृत करवा देना चाहिए। यदि यह करार पंजीकृत नही करवाया जाता है तो इसे उस स्थिति में न्यायलय द्वारा साक्ष्य के रूप में स्वीकार नही किया जायेगा, यदि किराये पर ली गयी/दी गयी संपत्ति के संबंध में कभी कोई मुकदमा दायर किया जाता है।
आपके करार का पंजीकरण यह सुनिश्चित करने के लिए भी जरूरी है कि आपका मकान मालिक आपसे सहमत हुए राशि से अतिरिक्त कुछ भी नहीं लेता है, या किसी भी अवैध लेनदेन के लिये आपके साथ जबरदस्ती नही करता है।
यही कारण है कि अधिकांश करार 11 महीने की अवधि के होते हैं, ताकि इस पंजीकरण प्रक्रिया से बचा जा सके। ऐसे मामलों में, करार को आपको पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन इसे केवल नोटरीकृत कराना होगा।
हालांकि, मुंबई जैसे कुछ शहरों में, जहां लीव एंड लाइसेंस समझौते का उपयोग किया जाता है, इस समझौते को पंजीकृत करना अनिवार्य है, भले ही किरायेदारी की अवधि कुछ भी हो। महाराष्ट्र में, किरायेदारी के सभी समझौते, चाहें वह लीज या लीव एंड लाइसेंस हों, कानूनन अनिवार्य रूप से पंजीकृत होने चाहिए।
अपने समझौते को नोटरीकृत कराना
किसी भी तरह के किराये के समझौते को, यदि इसे पंजीकृत नहीं किया जा रहा है तो इसे नोटरीकृत कराना आवश्यक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपके और आपके मकान मालिक के बीच एक अनुबंध है और सभी अनुबंध आमतौर पर नोटरीकृत कराए जाने के बाद ही मान्य होते हैं। समझौते को नोटरीकृत कराने से आपके दस्तावेज को वैधता मिलती है और यह इस बात की भी पुष्टि करता है कि समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले पक्ष वास्तव में कौन कौन हैं। यह न केवल आपको आपके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में सुनिश्चित करता है, बल्कि अगर मामला अदालत में जाता है, तो एक नोटरीकृत समझौते पर विवाद होने की संभावना नहीं होती है।