भारत के संविधान के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के कारण निम्नलिखित कार्य राजद्रोह की श्रेणी में नहीं आते है:
-सरकार की नीतियों और उनके कार्यों की आलोचना। -सरकार के खिलाफ, सद्भावना से की गई कोई भी आलोचना। -सरकार के कामकाज में सुधार के लिए की गई, कोई भी आलोचना।
दूसरे शब्दों में, सरकार या उसकी एजेंसियों के उपायों या कार्यों पर कड़े शब्दों में टिप्पणी करना सरकार के प्रति बगावत नहीं है। जब तक किसी व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द, लोगों के बीच सरकार के प्रति शत्रुता और द्रोह पैदा नहीं करते, और इसके लिये सार्वजनिक अव्यवस्था या हिंसा का उपयोग नहीं करते, तो यह देशद्रोह का कार्य नहीं है।
उदाहरण 1:
-अगर अमित सरकार में भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए ‘द हिंदू’ अखबार के लिये एक कार्टून बनाते हैं, तो यह देशद्रोह नहीं कहा जायेगा। -यदि कोई फिल्म निर्माता जम्मू-कश्मीर की हिंसा पर एक वृत्तचित्र बनाता है और उसमें सरकार की कार्रवाई की आलोचना करता है, तो वह देशद्रोह नहीं होगा।
उदाहरण 2:
-यदि बॉबी विधान सभा के आम चुनावों का बहिष्कार करने के लिए सार्वजनिक पुस्तकालय में पोस्टर चिपकाते हैं और लिखते हैं “लोगों का शोषण करने वाले मालिकों के लिए कोई वोट नहीं”, तो यह देशद्रोह नहीं है। -यदि राहुल अपने क्षेत्र में सड़कों के रखरखाव के लिए अपनी फेसबुक वॉल पर सरकार की आलोचना करते हैं, और सरकार के बारे में बुरी बातें कहते हैं, तो यह देशद्रोह नहीं कहलायेगी। -अगर तान्या, बिना किसी उत्तेजना या हिंसा के, या घृणा या हिंसा को उत्तेजित करने का प्रयास किए बिना, सरकार की किसी भी प्रशासनिक या अन्य कार्यवाही के खिलाफ अपना गुस्सा व्यक्त करती हैं, तो यह देशद्रोह नहीं कहा जायेगा।
उदाहरण 3:
-अगर राज किसी मंच पर, किसी खास समुदाय के साथ चल रहे अन्याय के बारे में उग्र भाषण देते हैं, तो उनका भाषण देना देशद्रोह नही होगा अगर वह किसी हिंसा को नहीं भड़काता है, ना ही किसी सार्वजनिक अव्यवस्था का कारण बनता है। -यदि रामू ने नारा दिया कि “मुझे सरकार से नफरत है, सरकार भ्रष्ट है”, यह देशद्रोह का अपराध नहीं है। अगर यह नारा लोगों के बीच हिंसा के साथ-साथ सरकार के प्रति नफरत फैलाने का काम करता है, तो यह देशद्रोह का अपराध होगा।