किराया देते समय, कुछ ऐसी बातें हैं, जिन्हें आपको ध्यान में रखनी चाहिए:
किराया जमा करना
- लीज डीड के समझौते में, कानूनन आपको महीने के 15 तारीख तक किराए का भुगतान करना होगा। हालांकि, लीव एंड लाइसेंस समझौते के लिए यह आवश्यक नहीं है।
- आमतौर पर आप आने वाले महीने के लिए किराया देते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप 15 जून को किराया दे रहे हैं, तो आप 15 जून से 14 जुलाई की अवधि के लिए भुगतान कर रहे हैं।
- किराया भुगतान की तारीख, किराये/लीज और लीव एंड लाइसेंस समझोते, दोनों के लिखित होनी चाहिये।
- किराए का भुगतान, चेक या ऑनलाइन हस्तांतरण के माध्यम से मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता को किया जा सकता है ताकि भुगतान का रिकॉर्ड रहे।
- मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता से किराए की रसीद हमेशा मांगें, खासकर अगर आपने अपने किराए का भुगतान नकद में किया हो। ऑनलाइन या चेक हस्तांतरण के मामलों में बैंक से आपके लेन-देन का प्रमाण, किराए की रसीदों के समान नहीं है। बैंकों की रसीद या ऑनलाइन खाते के विवरण आपके मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता से प्राप्त होने वाली रसीद के समान नहीं होती हैं, क्यों कि मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता द्वारा दी गई रसीद ही किराये के पैसे दिये जाने की स्वीकृति है। मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता द्वारा दिया गया रसीद भुगतान का प्रमाण है, जिसका उपयोग आप अपने टैक्स के उद्देश्यों, न्यायालय में साक्ष्य आदि के लिए कर सकते हैं।
किराया बढ़ाना
- आपके लिखित समझौते में, समझौते की लिखित अवधि समाप्त होने के बाद किराए में वृद्धि के प्रतिशत का उल्लेख होगा। अपने शहर में क्या चलन है यह पता लगाने की कोशिश करें ताकि वृद्धि का प्रतिशत अनुचित न हो।
- यदि आपका मकान मालिक किराया बढ़ाने का फैसला करता है, तो वह आपके लिखित समझौते की अवधि समाप्त होने के बाद ही वह ऐसा कर सकता है।