यदि सात वर्ष से ज्यादा का कोई बच्चा, जो किसी दूसरे बच्चे के साथ यौन प्रताड़ना करता है या किसी अन्य तरीके से उसपर यौन आक्रमण करता है, तो इसे यौन उत्पीड़न माना जायेगा और उस बच्चे को ‘किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015’ जुवेनाइल जस्टिस (केयर एण्ड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन ऐक्ट, 2015) के तहत दंडित किया जा सकता है।
कानून यह मानता है कि 7 वर्ष से कम आयु के किसी भी बच्चे के पास अपराध करने की मानसिक क्षमता नहीं बन पाती है क्योंकि कोई बच्चा अपने किए गए कार्यों के परिणामों को समझ नहीं सकता है।