यदि आपको, ‘पीआईओ’ ने आपके आरटीआई आवेदन को जिस तरीके से हैन्डल किया है, उसके बारे में शिकायत करनी है, तो आप इस अधिनियम के तहत स्थापित उच्च अधिकारीगण-केंद्रीय सूचना आयोग (सेन्ट्रल इन्फौर्मेशन कमीशन), या राज्य सूचना आयोग (स्टेट ईनफौर्मेशन कमीशन) से संपर्क कर सकते हैं। इस अधिनियम के तहत यह उनका कर्तव्य है वो आपकी शिकायत के बारे में पूछताछ करें। आप शिकायत निम्नलिखित परिस्थितियों में कर सकते हैं:
-जब सार्वजनिक प्राधिकरण ने ‘पीआईओ’ को ही नियुक्त नहीं किया है; -जब ‘पीआईओ’ ने सूचना देने से इनकार कर दिया है; -जब ‘पीआईओ’ ने आपको प्रस्तावित अविधि के अंदर सूचना नहीं दी है; -जब ‘पीआईओ’ ने आपको सूचना देने के लिए बहुत अधिक शुल्क मांगे हैं; तथा -जब ‘पीआईओ’ ने आपको अपर्याप्त या गलत सूचना दी है।
अगर आयोग आश्वस्त होता है कि शिकायत का आधार उचित हैं, तो वह इस मामले में जांच शुरू करेगा। जांच करने के मामले में, उसके अधिकार सिविल कोर्ट के समान होंगे। इसका मतलब है कि यह लोगों से आने और गवाही देने, या प्रासंगिक दस्तावेज सबूत के रूप में जमा करने, इन दस्तावेजों का निरीक्षण करने, और किसी भी सार्वजनिक रिकॉर्ड को लाने के लिए कह सकता है।