30 करोड़
भारतीय नहीं पढ़ सकते
89.4%
अंग्रेजी नहीं बोल सकते
40%
जिनका कानूनी विवाद था, उन्होंने पुलिस से संपर्क नहीं किया
30%
वकीलों से संपर्क नहीं करेंगे
भारत की चुनौती यह है कि हमारे देश में बड़ी संख्या में कानून हैं जिससे नागरिकों के लिए अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना और उन्हें लागू करना मुश्किल हो जाता है।भाषा भी एक बड़ी चुनौती है और चूंकि कानूनी जानकारी ज्यादातर अंग्रेजी में उपलब्ध है, और यह एक कठिन तरीके से लिखी गई है, इसलिए इसे समझना और भी मुश्किल हो जाता है।यह कागज पर कानून और वेह वास्तव में कैसे काम करता है, के बीच एक अंतर पैदा करता है।
नागरिकों को अपनी बोली जाने वाली भाषाओं में सरल और कार्रवाई योग्य जानकारी की आवश्यकता है।
न्याया का एक्सेस टू जस्टिस नेटवर्क नागरिकों को अपने अधिकारों को समझने और अपने अधिकारों को लागू करने के लिए कानूनी प्रणालियों का इस्तमाल करने में मदद करेगा।
न्याया के एक्सेस टू जस्टिस नेटवर्क में देश भर में प्रैक्टिस करने वाले वकील,कानून के छात्र, गैर सरकारी संगठन और कानूनी सहायता क्लीनिक हैं जो हमारे साथ स्वयंसेवा करते हैं और न्याय तक पहुंच में बाधाओं को दूर करने में मदद करते हैं।
हमने सबसे पहले न्याया का एक्सेस टू जस्टिस नेटवर्क लॉन्च किया था नागरिकों को हमारी आस्क न्याय हेल्पलाइन से जवाब देने के लिए। तब से यह नेटवर्क, वकीलों, कानून के छात्रों और सामाजिक विकास पप्रोफेशनल्स के लिए अपने काम, और विशेषज्ञता को शेयर करने के लिए एक तरह का मंच बन गया है।
एक्सेस टू जस्टिस नेटवर्क क्या है?
हमारा अनुभव
प्रभाव की कहानियां
जमीनी स्तर से आवाजें
प्रत्येक संगठन जिसके साथ हमने काम किया है, ने अपने दर्शकों के लिए उपलब्ध स्थानीय कानूनी विशेषज्ञ से कानूनी सहायता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। यहीं पर हमारा एक्सेस टू जस्टिस नेटवर्क उन लोगों को की मदद सकता है जिन्हें इसकी सबसे अधिक ज़रूरत है, और इस प्रकार कानूनी जानकारी जमीनी स्तर पर पहुंचती है।
एक्सेस टू जस्टिस नेटवर्क के तीन स्तंभ
छात्र स्वयंसेवक
समुदाय आधारित संगठन
वकालत करने वाले वकील