भारतीय कानून के अनुसार, परिस्थितियों के आधार पर, सभी व्यक्तियों को अपने माता-पिता के भरण-पोषण और आश्रय की जिम्मेदारी लेना आवश्यक है, चाहे वो उनके जैविक माता-पिता हों, सौतेले हों, या दत्तक हों। ‘माता पिता और वरिष्ठ नागरिक के भरण-पोषण एवं देखभाल’ अधिनियम, 2007 एक विशेष कानून है जिसके तहत एक वरिष्ठ नागरिक (60 वर्ष से ऊपर) अपने वयस्क संतानों या कानूनी उत्तराधिकारी से भरण-पोषण के लिए न्यायधिकरण (ट्रिब्यूनल) में आवेदन कर सकते हैं। इन दोनों कानूनों के तहत आप भरण-पोषण के लिए आवेदन कर सकते हैं, यदि आप खुद अपनी देखभाल करने में असमर्थ हैं।