आप अपनी इच्छानुसार जितनी बार चाहें अपनी वसीयत को बदल सकते हैं। वसीयत के पंजीकृत होने के बाद भी, आप के द्वारा इसमें परिवर्तन करना संभव है।
यदि आप अपनी इच्छाओं को सही तरीके से व्यक्त करने के लिए अपनी वसीयत में बड़ा परिवर्तन कर रहे हैं, तो आपको आदर्श रूप से एक ‘कोडिसिल’ को निष्पादित करना चाहिए। ‘कोडिसिल’ एक लिखित बयान है, जो मौजूदा वसीयत के पूरक के रूप में होता है, या इसे संशोधित करता है। इसे, मूल वसीयत की भांति ही निष्पादित किया जाना चाहिए।
आप अपनी वसीयत में परिवर्तन करने के लिये, उसमें से कुछ हटा सकते हैं, कुछ संशोधित कर सकते हैं, या नई बात जोड़ सकते हैं। परन्तु आपको इन परिवर्तनों के समीप हाशिये में या वसीयत के अन्त में अपने, इनका हवाला देते हुए हस्ताक्षर करने होंगे और अपने गवाहों के हस्ताक्षर करवाने होंगे। पहले से निष्पादित वसीयत में कोई परिवर्तन नहीं किए जा सकते हैं (सिवाय इसे ज्यादा स्पष्ट करने या समझने योग्य बनाने के लिए)